Operation Sindoor Missile: हाल ही में हुए ऑपरेशन सिंदूर के बाद से ब्रह्मोस मिसाइल एक बार फिर सुर्खियों में है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस ऑपरेशन में राफेल लड़ाकू विमान से ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल दागी गई थी, जिसने पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया. इस हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ा, लेकिन बाद में अचानक सीजफायर की घोषणा कर दी गई.
ऑपरेशन सिंदूर के बाद सोशल मीडिया पर लोग यह जानने लगे कि आखिर भारत की मिसाइलों के नाम इतने खास और प्रभावशाली क्यों होते हैं. ब्रह्मोस, अग्नि, आकाश, पृथ्वी, प्रलय—इन नामों में एक अलग ही ताकत महसूस होती है. लेकिन क्या इन नामों के पीछे कोई पैमाना होता है?
भारतीय रक्षा प्रणाली में मिसाइलों के नाम उनके कार्य और स्वभाव के अनुसार रखे जाते हैं. ज़्यादातर नाम भारतीय पौराणिक कथाओं से लिए जाते हैं, जो न सिर्फ ऐतिहासिक महत्व रखते हैं, बल्कि उनका संबंध शक्ति और विनाश से भी होता है.
ब्रह्मोस मिसाइल का नाम भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मोस्कवा नदियों के नाम पर आधारित है सुपरसोनिक क्रूज. यह मिसाइल ध्वनि की गति से तीन गुना तेज उड़ान भरती है और इसकी मारक क्षमता 450 किलोमीटर तक है. अग्नि मिसाइलें लंबी दूरी तक मार करने में सक्षम हैं और इनमें अत्यधिक ऊर्जा उपयोग होती है, इसलिए इसका नाम अग्नि रखा गया. वहीं, पृथ्वी मिसाइल सतह से सतह पर मार करती है, इसलिए इसे पृथ्वी नाम दिया गया.
आकाश मिसाइल हवा में उड़ते दुश्मन के विमान और ड्रोन को गिराने में सक्षम है. इसका नाम ‘आकाश’ इसलिए रखा गया क्योंकि यह ऊपर आकाश में जाकर दुश्मन को निशाना बनाती है. वहीं, ‘प्रलय’ मिसाइल का नाम ही काफी है यह बताने के लिए कि इसकी ताकत किसी तबाही से कम नहीं. भारत की मिसाइलों के नाम सिर्फ प्रतीक नहीं, बल्कि उनकी ताकत, भूमिका और संदेश का विस्तार हैं. हर नाम के पीछे सोच, रणनीति और सांस्कृतिक जुड़ाव है, जो इन्हें खास बनाता है.