आम बजट 1 फरवरी को पेश किया जाएगा. आने वाले बजट से देश के आम नागरिकों को काफी उम्मीदें हैं. किसान भी आस लगाए बैठे हैं कि इसबार उनका भी ख्याल रखा जाएगा. देश के GDP का 15 फीसदी योगदान किसान देते हैं. अभी भी रोजगार के मामले में किसानी सबसे ऊपर हैं. ऐसे में किसान को इस बजट से कई ऐसे योजना की उम्मीद है जो उनके लिए लाभकारी हो.
भारत में कृषि क्षेत्र हमेशा से देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ रहा है, लेकिन हाल के वर्षों में इस क्षेत्र में निरंतर संकट गहराता जा रहा है. 2020-2022 के दौरान, भारत में किसानों की संख्या में 56 मिलियन का इजाफा हुआ है. इसके बावजूद, किसानों को खेती के अलावा अन्य प्रोडक्शन क्षेत्रों में रोजगार के अवसरों की कमी का सामना करना पड़ रहा है. यह स्थिति किसानों की आर्थिक स्थिति को और भी खराब बना रही है. ऐसे में, यह समय की जरूरत है कि सरकार कृषि क्षेत्र के उत्पादन और विकास के लिए ठोस कदम उठाए, ताकि कृषि संकट का समाधान हो सके और किसानों की जीवन-यात्रा में सुधार हो सके.
अगर किसानों के इन मुद्दों का समाधान समय रहते नहीं किया गया तो यह भारतीय अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है. कृषि क्षेत्र में सुधार न होने से किसानों की आय में वृद्धि नहीं हो पाएगी और इसके परिणामस्वरूप गरीबी और बेरोजगारी की समस्या और गहरी हो सकती है. यही नहीं, इसके चलते मोदी सरकार के 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के सपने को भी बड़ा झटका लग सकता है.
सरकार की पहल और आगामी बजट की उम्मीदें
भारत सरकार ने कृषि संकट से निपटने के लिए कुछ पहलें शुरू की हैं, जिनमें जनवरी 2025 में डाई-अमोनियम फास्फेट (DAP) के लिए विशेष पैकेज की घोषणा शामिल है. इस पैकेज के तहत DAP की कीमतों को स्थिर करने के लिए ग्लोबल मार्केट में 3,500 रुपये प्रति टन का सब्सिडी दिया जाएगा. यह कदम किसानों को खाद की उपलब्धता और उसकी कीमतों में स्थिरता सुनिश्चित करने की दिशा में एक अहम प्रयास है. सरकार की इस पहल से यह उम्मीद की जा रही है कि आगामी बजट में कृषि क्षेत्र से संबंधित कई मुद्दों पर ध्यान दिया जाएगा. खासतौर पर किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए ठोस योजनाओं का ऐलान किया जा सकता है. इसके अलावा, कृषि उत्पादों की कीमतों में उतार-चढ़ाव को नियंत्रित करने के लिए सरकार के पास और भी उपाय हो सकते हैं.
किसानों की मांगें
1. एग्रीकल्चर लोन पर ब्याज दरों में कमी: किसानों की मुख्य मांग है कि कृषि ऋण पर ब्याज दरों को 1 प्रतिशत तक कम किया जाए, ताकि उनके लिए कृषि कार्यों के लिए पूंजी जुटाना सस्ता और सुगम हो सके.
2. PM-KISAN योजना का विस्तार: किसानों का कहना है कि पीएम किसान योजना के तहत मिलने वाली वार्षिक किस्त को 6,000 रुपये से बढ़ाकर 12,000 रुपये किया जाए, ताकि छोटे किसानों को आर्थिक समर्थन बढ़े और उनका जीवन स्तर बेहतर हो सके.
3. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का सुधार: छोटे किसानों के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत शून्य प्रीमियम पर बीमा करने की मांग की जा रही है. इससे किसानों को प्राकृतिक आपदाओं या अन्य फसली संकटों से बचाव मिलेगा.
4. GST में राहत: किसानों ने बीज, कृषि मशीनरी और उर्वरकों पर GST कम करने की मांग की है. PHD चैंबर ऑफ कॉमर्स ने कीटनाशकों पर GST को 18 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी करने की सिफारिश की है, ताकि किसानों की लागत में कमी आए और उत्पादन में वृद्धि हो सके.