दिल्ली के लाल किले के पास हुए कार ब्लास्ट मामले में जांच एजेंसियों ने बड़ी कार्रवाई की है. लंबे समय से फरार चल रहे मुख्य आरोपी डॉ. मुजफ्फर अहमद राथर के खिलाफ अदालत ने सख्त रुख अपनाया है. राष्ट्रीय जांच एजेंसी से जुड़े इस मामले में श्रीनगर स्थित विशेष अदालत ने उसे घोषित अपराधी करार दिया है. जांच से जुड़े दस्तावेजों और बरामदियों ने इस साजिश को और गंभीर बना दिया है.
श्रीनगर की NIA कोर्ट ने डॉ. मुजफ्फर अहमद राथर को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 84 के तहत भगोड़ा अपराधी घोषित किया है. यह आदेश पिछले सप्ताह पारित किया गया था. कोर्ट के निर्देश पर काजीगुंड स्थित उसके घर पर नोटिस चिपकाया गया, जिससे उसकी फरारी को आधिकारिक रूप से दर्ज किया गया.
कोर्ट ने अपने आदेश में साफ कहा है कि डॉ. मुजफ्फर अहमद राथर को 28 जनवरी 2026 को सुबह 10 बजे अदालत में पेश होना होगा. उसे मामले में दाखिल शिकायत का जवाब देने के लिए कहा गया है. समय पर पेश न होने की स्थिति में आगे की कानूनी कार्रवाई और तेज की जा सकती है.
डॉ. मुजफ्फर अहमद राथर पर 10 नवंबर को लाल किले के पास हुए कार ब्लास्ट की साजिश रचने का आरोप है. इस धमाके में 15 लोगों की मौत हुई थी. जांच एजेंसियों के मुताबिक, वह उस व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल का अहम हिस्सा है, जिसका पर्दाफाश अक्टूबर में हुआ था.
जांच में सामने आया है कि मुजफ्फर का भाई डॉ. अदील अहमद राथर पहले ही उत्तर प्रदेश के सहारनपुर से गिरफ्तार किया जा चुका है. एजेंसियों को आशंका है कि मुजफ्फर अहमद राथर अफगानिस्तान में छिपा हुआ है. इसी वजह से उसके खिलाफ उद्घोषणा की प्रक्रिया शुरू की गई.
इस पूरे मॉड्यूल का पता तब चला, जब नौगाम के बनपोरा इलाके में सुरक्षा बलों को धमकी देने वाले पोस्टर सामने आए. जांच के दौरान 2900 किलोग्राम विस्फोटक सामग्री बरामद हुई. एजेंसियों का मानना है कि डॉ. मुजफ्फर गनी, डॉ. उमर नबी और डॉ. मुजफ्फर राथर की तिकड़ी इस साजिश को चला रही थी.