नेशनल हेराल्ड मामले में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार को दावा किया कि कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं ने एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) के लिए फर्जी लेनदेन किए, जो केवल कागजों पर मौजूद हैं. एजेएल वह कंपनी है, जिसका संबंध सोनिया गांधी और राहुल गांधी से है. दिल्ली की एक अदालत में ईडी का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल वी राजू ने दावा किया कि कुछ व्यक्तियों ने कई वर्षों तक फर्जी किराया भुगतान किया. ईडी के अनुसार, किराए की रसीदें जाली थीं, और धनराशि वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं के निर्देश पर एजेएल को हस्तांतरित की गई.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, ईडी ने यह भी दावा किया कि विज्ञापन के लिए दी गई धनराशि को भी वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं के निर्देश पर एजेएल को भेजा गया. इस तरह की धोखाधड़ी से प्राप्त कोई भी आय को अपराध की आय (प्रोसीड्स ऑफ क्राइम) माना जा रहा है. ईडी ने सवाल उठाया कि जिन दानदाताओं और प्रभावशाली व्यक्तियों ने कथित रूप से किराया भुगतान किया, उन्हें भी अपराध की आय का हिस्सा मानते हुए आरोपी क्यों न बनाया जाए.
National Herald alleged money laundering case | Rouse Avenue Court in Delhi listed the matter for hearing further arguments of ED for tomorrow, 3rd July.
— ANI (@ANI) July 2, 2025
शेयर लेनदेन पर सवाल
ईडी ने शेयरों के लेनदेन को भी संदिग्ध बताया। एजेंसी ने कहा, “सुमन दुबे ने शेयर सोनिया गांधी को हस्तांतरित किए, वहीं ऑस्कर फर्नांडिस ने शेयर राहुल गांधी को दिए, जिन्हें बाद में राहुल ने फर्नांडिस को वापस कर दिया. ये सभी फर्जी लेनदेन हैं, जो केवल कागजों पर मौजूद हैं और इनका कोई वास्तविक आर्थिक आधार नहीं है.” ईडी के अनुसार, 2015 तक केवल दो लोग, राहुल गांधी और सोनिया गांधी, इस कंपनी के वास्तविक लाभार्थी थे और इसका पूर्ण नियंत्रण उनके पास था.
कोर्ट में बहस- अपराध की आय का दायरा
अदालत ने सवाल उठाया, “क्या किराया और विज्ञापन जैसी राशि को भी अपराध की आय के रूप में वर्गीकृत किया जा रहा है?”इस पर वी राजू ने जवाब दिया, “हां, धोखाधड़ी से प्राप्त कोई भी संपत्ति कानून के तहत अपराध की आय के रूप में योग्य है.”अदालत ने कहा, “लेकिन ईडी ने सभी राशियों को स्पष्ट रूप से अपराध की आय के रूप में वर्गीकृत नहीं किया है. उदाहरण के लिए, किराए की राशि को दो हिस्सों में बांटा गया है. 29 करोड़ रुपये और 142 करोड़ रुपये. 142 करोड़ रुपये को अपराध की आय माना गया है, लेकिन 29 करोड़ रुपये को नहीं.
”अदालत ने यह भी पूछा, “हम यह सवाल इसलिए उठा रहे हैं क्योंकि जिन दानदाताओं को आप फर्जी योगदान देने का दावा कर रहे हैं, वे न केवल उसी राजनीतिक दल से हैं, बल्कि प्रभावशाली व्यक्ति भी हैं. अगर दान और अग्रिम किराया अपराध की आय माना जाता है, तो क्या इन व्यक्तियों को भी प्रतिवादी के रूप में नामित नहीं करना चाहिए?”ईडी ने जवाब दिया, “हम अभी भी जांच कर रहे हैं कि क्या संपत्तियां अधिग्रहण के समय से ही अपराध की आय के रूप में योग्य हैं या बाद में.
”अदालत ने स्पष्ट किया, “हमारा उद्देश्य केवल यह समझना है कि ईडी वर्तमान में किन चीजों को अपराध की आय मान रही है और किन्हें नहीं.”ईडी ने कहा, “फिलहाल, हम इन राशियों को अपराध की आय मान रहे हैं. हमारी जांच जारी है, और आगे की जानकारी एक पूरक चार्जशीट में शामिल की जाएगी, जिसे हम उचित समय पर दाखिल करेंगे.
जानिए क्या है नेशनल हेराल्ड मामला?
नेशनल हेराल्ड एक अखबार था, जिसे 1938 में जवाहरलाल नेहरू और अन्य स्वतंत्रता सेनानियों ने शुरू किया था. इसका उद्देश्य भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उदारवादी विचारों को पेश करना था. एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड द्वारा प्रकाशित इस अखबार ने स्वतंत्रता के बाद कांग्रेस पार्टी के लिए एक प्रमुख मंच के रूप में काम किया. इसके अलावा, एजेएल ने हिंदी और उर्दू प्रकाशनों को भी जारी किया.
हालांकि, 2008 तक नेशनल हेराल्ड 90 करोड़ रुपये से अधिक के कर्ज के बोझ तले बंद हो गया. 2012 में बीजेपी नेता और वकील सुब्रमण्यम स्वामी ने एक ट्रायल कोर्ट में शिकायत दर्ज की. उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ कांग्रेस नेताओं ने एजेएल के अधिग्रहण की प्रक्रिया में धोखाधड़ी और विश्वासघात किया. स्वामी के अनुसार, यंग इंडियन लिमिटेड ने नेशनल हेराल्ड की संपत्तियों पर “दुर्भावनापूर्ण” तरीके से नियंत्रण हासिल किया.