Maratha Reservation Movement: एक तरफ मुंबई में जोरदार बारिश तो दुसरी ओर मराठा समुदाय आरक्षण आंदोलन. आरक्षण की मांग को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता मनोज जरांगे आज भी यानि 30 अगस्त को अनसन को जारी रखेंगे. उनके इस आंदोलन में हजारों लोग उनका साथ दे रहे हैं. उनकी मांग है कि सरकार ओबीसी श्रेणी के तहत मराठों को 10% आरक्षण दे. 29 अगस्त को उन्होनें इस आंदोलन का शंखनाद किया. जिसमें मध्य रेलवे के विशाल छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस के पास स्थित प्रतिष्ठित स्थल पर बड़ी संख्या में कल प्रदर्शनकारी पहुंचे थे.
हालांकि पुलिस ने उन्हें शाम 6 बजे तक विरोध प्रदर्शन करने की अनुमति दी थी लेकिन जरांगे इस आंदोलन को आज भी जारी रखेंगे. प्रदर्शनकारियों ने पहले ही कसम खाई थी कि वे तब तक स्थल नहीं छोड़ेंगे जब तक आरक्षण आंदोलन की जीत नहीं हो जाती. इसके लिए ंमुंबई पुलिस ने आज शनिवार को भी मंच लगाकर जरांगे को ओबीसी कोटे में आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन को जारी रखने की इजाजत दी है.
जरांगे पाटिल ने साफ कर दिया है कि वो मुंबई से हटेंगे नहीं, चाहे उन्हें गोलियां क्यों न झेलनी पड़ें. जरांगे ने कहा कि 'जब तक मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली महायुति सरकार मराठा आरक्षण की मांग नहीं मानती, आंदोलन जारी रहेगा.'
वहीं विपक्ष के नेता उद्धव ठाकरे ने सरकार पर तीखा हमला बोला और सवाल खड़ा किया कि चुनाव से पहले छत्रपति शिवाजी महाराज के नाम पर किए गए वादे और शपथों को आखिर क्यों पूरा नहीं किया गया. ठाकरे ने साफ कहा कि 'मुंबई मराठी जनता की राजधानी है और सरकार को छल-कपट की राजनीति छोड़कर जनता से संवाद करना चाहिए.'
मुंबई | महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा, "उद्धव ठाकरे को बताना चाहिए कि सत्ता में रहते हुए उन्होंने मराठा समुदाय के लिए एक भी काम किया है या नहीं..."
#WATCH | Mumbai | Maharashtra CM Devendra Fadnavis says, "Uddhav Thackeray should tell whether he has done even a single work for the Maratha community while in power..." (29.08) pic.twitter.com/Mxx3MtOLzy
— ANI (@ANI) August 29, 2025
पाटिल और उनके जैसे कई अन्य लोगों ने जारेंज को समर्थन देने के लिए बारिश का सामना किया, उनमें से कई ने पेड़ों के नीचे, फुटपाथों पर और सीएसएमटी के पास मेट्रो के अंदर शरण ली. 40 वर्षीय पाटिल ने गुरुवार रात आजाद मैदान में पीटीआई से कहा, 'अगर आप हमें आरक्षण नहीं दे सकते, तो हम जीना नहीं चाहते. सरकार को इस बात का कोई अंदाजा नहीं है कि हमारा जीवन कितना कठिन है.'