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डूबती MTNL को नहीं बचा पाई सरकारी मदद, क्या BSNL में हो जाएगा विलय?

दूसरंचार की यह कंपनी भारी घाटे से जूझ रही है और कंपनी का घाटा बढ़ता ही जा रहा है. हालांकि कंपनी के शेयरों पर इसका कोई नेगेटिव इफेक्ट नहीं हुआ है. पिछले एक साल में BSE पर कंपनी के शेयर 139% चढ़े हैं. 12 जुलाई 2014 को कंपनी का शेयर 19.4 रुपए पर था जो अब 46.3 रुपए का हो गया है.

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Edited By: India Daily Live
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Courtesy: social media

MTNL News: मोदी सरकार सरकारी टेलीकॉम कंपनी MTNL का संचालन BSNL को सौंपने पर विचार कर रही है. मुंबई और दिल्ली में सेवाएं देवे वाली इस सरकारी कंपनी को सरकारी मदद मिलने के बावजूद वित्तीय समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, जिसके चलते सरकार  इसका संचालन BSNL को सौंपना चाहती है. सूत्रों के हवाले से यह जानकारी सामने आई है.

क्या शेयर बाजार से डीलिस्ट हो जाएगी कंपनी

सूत्रों की मानें तो पहले सचिवों की समिति (CoS) इस प्रस्ताव पर विचार करेगी, जिसके बाद इसे कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा. एक सूत्र ने बताया कि दोनों कंपनियों का विलय नहीं हो रहा है इसलिए MTNL को शेयर बाजार से हटाने की जरूरत नहीं है. एमटीएनएल का केवल संचालन BSNL को सौंपा जा रहा है.

शेयरों पर नहीं पड़ा असर
MTNL के खराब प्रदर्शन का उसके शेयरों पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा है. कंपनी को हो रहे घाटे के बावजूद पिछले एक साल में BSE पर कंपनी के शेयर 139% चढ़े हैं. 12 जुलाई 2014 को कंपनी का शेयर 19.4 रुपए पर था जो अब 46.3 रुपए का हो गया है.

उद्योग में बढ़ोत्तरी का कंपनी को नहीं मिला फायदा
पिछले एक दशक में टेलीकॉम सेक्टर में जबरदस्त ग्रोथ देखने को मिली है, लेकिन MTNL इस बढ़ोत्तरी का फायदा नहीं उठा सकी. बाजार पर कंपनी की पकड़  और हिस्सेदारी और कमजोर हुई है. BSNL की भी कमोबेश ऐसी ही स्थिति है. इस साल अप्रैल के अंत में ब्रॉडबैंड सहित वायरलाइन कारोबार में MTNL की हिस्सेदारी घटकर 6% रह गई है, जो अप्रैल 2014 में 12.5% थी.  वहीं मोबाइल कारोबार में कंपनी की हिस्सेदारी घटकर 0.2% रह गई है जो एक दशक पहले 0.4% थी. इस खबर के आने के बाद MTNL के शेयरों पर असर पड़ सकता है. 

लगातार बढ़ रहा कंपनी का घाटा
एक साल पहले कंपनी का घाटा 2,911 करोड़ रुपए था जो 31 मार्च 2024 को बढ़र 3,303 करोड़ हो गया है. वहीं वित्त वर्ष 2023-24 के अंत में एमटीएनएल का बकाया कर्ज बढ़कर 25,795 करोड़ रुपए हो गया जो एक साल पहले 23,500 करोड़ रुपए था.