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India Daily

India-China Relations: डोभाल-वांग यी की बैठक में भारत-चीन के बीच किन बिंदुओं पर मिली सहमति?

भारत और चीन ने विशेष प्रतिनिधियों की बैठक में सीमा पर शांति बनाए रखने और संबंध सुधारने पर सहमति जताई. अजीत डोभाल ने कहा कि सीमा पर हालात शांत हैं और दोनों देशों को इसका लाभ मिला है. वांग यी ने माना कि पिछले झटके दोनों देशों के हित में नहीं थे और अब रिश्तों में सुधार का अवसर है.

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Edited By: Km Jaya
Meeting with Wang Yi
Courtesy: Social Media

भारत और चीन के बीच लंबे समय से चला आ रहा सीमा विवाद अब शांतिपूर्ण माहौल में आगे बढ़ रहा है. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच मंगलवार को नई दिल्ली में 24वें दौर की विशेष प्रतिनिधि स्तर की वार्ता हुई. इस बैठक में दोनों पक्षों ने सीमा पर शांति बनाए रखने और आपसी संबंधों को मजबूत करने पर जोर दिया.

अजीत डोभाल ने कहा कि पिछले अक्टूबर में सैन्य टकराव खत्म होने के बाद से सीमा पर शांति और स्थिरता बनी हुई है. उन्होंने बताया कि दोनों देशों ने इस माहौल से काफी लाभ उठाया है और विभिन्न क्षेत्रों में प्रगति दर्ज की है. डोभाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आगामी चीन यात्रा का भी उल्लेख किया. मोदी 31 अगस्त और 1 सितंबर को तियानजिन में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे.

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द्विपक्षीय संबंधों में नई दिशा

डोभाल ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पिछले साल रूस के कजान में मुलाकात के दौरान द्विपक्षीय संबंधों में नई दिशा दी थी. इसी बैठक के बाद भारत-चीन के बीच अक्टूबर 2024 में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर जारी गतिरोध खत्म करने का समझौता हुआ था. यह गतिरोध 2020 में लद्दाख क्षेत्र में शुरू हुआ था, जब दोनों देशों ने लगभग 50 हजार सैनिक तैनात कर दिए थे और गलवान घाटी में हिंसक झड़प हुई थी.

दोनों देशों को लगे झटके 

वांग यी ने बैठक में कहा कि पिछले कुछ वर्षों में दोनों देशों को जो झटके लगे थे, वे दोनों देशों की जनता के हित में नहीं थे. उन्होंने माना कि मोदी और शी जिनपिंग की बैठक ने द्विपक्षीय संबंधों को सुधारने का मार्ग दिखाया है. वांग ने कहा कि वर्तमान समय में भारत-चीन रिश्ते सुधार और विकास के महत्वपूर्ण मौके पर खड़े हैं और चीन प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा को अहम मानता है.

विकासशील देशों के लिए भी लाभकारी 

उन्होंने कहा कि स्वस्थ और स्थिर भारत-चीन संबंध न केवल दोनों देशों के लिए, बल्कि विकासशील देशों के लिए भी लाभकारी हैं. दोनों पक्षों को रणनीतिक संवाद से विश्वास बढ़ाना चाहिए, सहयोग से साझा हितों को विस्तार देना चाहिए और सीमा से जुड़े मुद्दों का समाधान ढूंढना चाहिए.

भारत की चिंताओं को दूर करने का आश्वासन

सूत्रों के अनुसार, बैठक में सीमा प्रबंधन बेहतर बनाने, तनाव रोकने और सीमा व्यापार बढ़ाने जैसे आत्मविश्वास निर्माण उपायों पर चर्चा हुई. इससे पहले वांग ने विदेश मंत्री एस जयशंकर से भी मुलाकात की थी और भारत की उन चिंताओं को दूर करने का आश्वासन दिया था, जो चीन द्वारा दुर्लभ धातुओं, उर्वरकों और बड़े टनल बोरिंग मशीनों के निर्यात प्रतिबंधों से जुड़ी हैं. वांग अपने भारत दौरे के अंत में प्रधानमंत्री मोदी से भी मुलाकात करेंगे.