90 Hours Work Controversy: लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) के चेयरमैन एसएन सुब्रमण्यन ने उस विवाद पर पहली बार खुलकर बयान दिया है, जो उनके 90 घंटे काम करने वाले बयान के बाद खड़ा हुआ था. सुब्रमण्यन ने कहा कि उनकी बातों को गलत तरीके से समझा गया और उनका जवाब उस समय की परिस्थितियों को देखते हुए निकला था. उन्होंने यह भी माना कि उनकी पत्नी तक इस विवाद से आहत हुईं, जब उनका नाम भी इसमें खींचा गया.
सुब्रमण्यन ने बताया कि यह बयान उन्होंने एक सामान्य बातचीत के दौरान दिया था, लेकिन उन्हें यह अंदाजा नहीं था कि वह रिकॉर्ड हो रहा है. उन्होंने कहा कि वह एक कैजुअल जवाब था. मुझे यह भी पता नहीं था कि रिकॉर्डिंग चल रही है. पीछे मुड़कर देखता हूं तो लगता है कि जवाब अलग तरीके से दिया जा सकता था.
उन्होंने स्पष्ट किया कि यह टिप्पणी ऐसे समय में आई थी जब कंपनी कई प्रोजेक्ट्स को लेकर दबाव में थी. पांच से छह बड़े और अहम क्लाइंट्स ने उनसे काम की धीमी रफ्तार पर चिंता जताई थी. सुब्रमण्यन के अनुसार, उस समय स्टाफ और लेबर जुटाने में मुश्किलें आ रही थीं, जिसकी वजह से प्रोजेक्ट्स समय पर पूरे नहीं हो पा रहे थे.
उन्होंने स्वीकार किया कि इन परिस्थितियों का असर उनके जवाब में दिखा. कंपनी से अपेक्षा के अनुरूप काम नहीं हो रहा था. यह स्थिति मेरे और संगठन दोनों के लिए ठीक नहीं थी. उन्होंने कहा कि अगर उस समय मैंने सावधानी से बोला होता, तो बात अलग तरीके से सामने आती. सुब्रमण्यन ने यह भी जोड़ा कि यह विवाद लगातार उनके दिमाग में बना रहा और इसे वह भूल नहीं पाए. उन्होंने कहा कि यह मेरे लिए आसान नहीं रहा लेकिन जो हो गया, वह वापस नहीं लिया जा सकता. अगर अब वही सवाल होता, तो शायद मैं अलग तरीके से जवाब देता.
इस साल जनवरी में उन्होंने एक बयान दिया था जिसमें कहा गया था कि भारतीय कर्मचारियों को चीन की तरह 90 घंटे काम करना चाहिए ताकि भारत, अमेरिका से आगे निकल सके. इसी दौरान उन्होंने कहा था कि घर पर बैठकर क्या करेंगे? कितनी देर पत्नी को देखेंगे? कितनी देर पति को देखेंगे? ऑफिस जाइए और काम कीजिए. इसी टिप्पणी ने विवाद को जन्म दिया था. उन्होंने अंत में कहा कि उनके लिए और संगठन के लिए परफॉर्मेंस ही ऑक्सीजन है. जब प्रदर्शन कमजोर पड़ता है तो कभी-कभी बातें गलत तरीके से निकल जाती हैं.