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Chamba Land Slide: हिमाचल में भरभराकर गिरा पहाड़, सड़क पर फैला मलबा, कुंडी-सुनारा मार्ग पर यातायात ठप, देखें वीडियो

हिमाचल प्रदेश के चंबा में खतरनाक भूस्खलन हुआ है. यहां जिला के विकास खंड मैहला के अंतर्गत कुंडी-सुनारा संपर्क मार्ग पर शनिवार को अचानक पहाड़ का हिस्सा दरक गया. इस घटना के कारण सड़क पर वाहनों की आवाजाही पूरी तरह से बंद हो गई.

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Edited By: Garima Singh
CHAMBA LAND SLIDE
Courtesy: x

CHAMBA LAND SLIDE: हिमाचल प्रदेश के चंबा में खतरनाक भूस्खलन हुआ है. यहां जिला के विकास खंड मैहला के अंतर्गत कुंडी-सुनारा संपर्क मार्ग पर शनिवार को अचानक पहाड़ का हिस्सा दरक गया. इस घटना के कारण सड़क पर वाहनों की आवाजाही पूरी तरह से बंद हो गई. लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) की टीम तुरंत मौके पर पहुंची, लेकिन पहाड़ी से लगातार मलबा गिरने के कारण सड़क को खोलने में देरी हो रही है. इस घटना से 10 से 15 वाहन सड़क पर फंस गए हैं, और ग्रामीणों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है. इस दौरान कुछ लोगों को पैदल ही अपने गंतव्य की ओर जाते देखा गया. 

शनिवार सुबह कुंडी-सुनारा मार्ग पर पहाड़ का एक बड़ा हिस्सा अचानक भरभराकर सड़क पर आ गिर गया. गनीमत रही कि उस समय कोई वाहन वहां से नहीं गुजर रहा था, वरना एक बड़ा हादसा हो सकता था. क्षेत्र में लंबे समय से बारिश न होने के कारण तीव्र गर्मी और सूखे जैसे हालात बने हुए हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि सूखे की स्थिति में भी भूगर्भीय हलचल के कारण ऐसी घटनाएं हो सकती हैं. 

मलबे ने रोका रास्ता

लोक निर्माण विभाग के अनुसार, पहाड़ी से रुक-रुक कर पत्थर और मलबा गिर रहा है, जिसके कारण सड़क पर मशीनरी लगाना जोखिम भरा है. विभाग के एक अधिकारी ने बताया, 'जैसे ही पहाड़ से मलबा और पत्थर गिरना बंद होंगे, जल्द सड़क को यातायात के लिए बहाल कर दिया जाएगा.'' फिलहाल, सड़क बंद होने से स्थानीय लोगों को लंबा इंतजार करना पड़ रहा है. ग्रामीणों का कहना है कि इस मार्ग पर आवाजाही बंद होने से दैनिक जरूरतों और आपातकालीन सेवाओं पर भी असर पड़ रहा है. 

जनजातीय क्षेत्रों में बार-बार पहाड़ दरकने की समस्या

जनजातीय क्षेत्रों में पहाड़ दरकने की घटनाएं कोई नई बात नहीं हैं. हाल ही में, चंबा-भरमौर नेशनल हाईवे पर लाहल ढांक के पास भी पहाड़ दरकने से कई घंटों तक यातायात बाधित रहा था. इसके अलावा, खड़ा मुख-होली मार्ग पर भी ऐसी घटनाएं बार-बार सामने आ रही हैं। सूखे की स्थिति में भी पहाड़ों के अस्थिर होने से स्थानीय प्रशासन और विशेषज्ञ चिंतित हैं.