menu-icon
India Daily

दो से ज्यादा हो गए बच्चे, सोसायटी से निकाल दिया बाहर, जानिए क्या है 'छोटा परिवार' का नियम

Maharashtra Small Family Rule: महाराष्ट्र में एक सोसाइटी के सदस्य को पैनल से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया. दरअसल, सोसाइटी पैनल के सदस्य ने दो बच्चों वाले कानून का उल्लंघन किया था. चुनाव लड़ने के दौरान वे दो बच्चे के पिता थे, लेकिन चुनाव जीतने के बाद उनके तीन बच्चे हो गए. इसके बाद हाउसिंग सोसाइटी की प्रबंध समिति ने उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया.

auth-image
Edited By: India Daily Live
Maharashtra Small Family Rule
Courtesy: Social Media

Maharashtra Small Family Rule:  बॉम्बे हाईकोर्ट ने कांदिवली के एक शख्स को उसकी हाउसिंग सोसाइटी की प्रबंध समिति से अयोग्य घोषित करने के आदेश को बरकरार रखा है. आरोप है कि कांदिवाली निवासी के दो से अधिक बच्चे थे और शख्स ने महाराष्ट्र के 'छोटा परिवार' नियम का उल्लंघन किया है. 'छोटा परिवार' नियम महाराष्ट्र सहकारी समिति (MCS) अधिनियम, 1960 में पेश किया गया था, जिसमें 2019 में संशोधन किया गया था. इस नियम के मुताबिक, दो से अधिक बच्चों वाले व्यक्ति को सहकारी हाउसिंग सोसाइटी की प्रबंध समिति में शामिल होने से अयोग्य घोषित करता है.

बॉम्बे हाई कोर्ट के जस्टिस अविनाश घरोटे की सिंगल बेंच ने चारकोप कांदिवली एकता नगर सहकारी हाउसिंग सोसाइटी के सदस्य पवन कुमार सिंह की ओर से दायर याचिका को खारिज कर दिया. सहकारी समितियों के संभागीय संयुक्त रजिस्ट्रार की ओर से 2 मई को उनकी अपील खारिज कर दी गई थी. इसके बाद उन्होंने हाई कोर्ट का रुख किया था, जिसमें मई 2023 में दिए गए उप रजिस्ट्रार के आदेश को चुनौती दी गई थी. मई 2023 को दिए गए आदेश में पवन कुमार सिंह को उनकी सोसायटी की प्रबंध समिति के सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित किया गया था.

सोसाइटी चुनाव के बाद दर्ज कराई गई थी शिकायत

पिछले साल चुनावों के बाद सोसाइटी के दो सदस्यों दीपक तेजाड़े और रामचल यादव ने पश्चिमी उपनगर के उप रजिस्ट्रार के पास शिकायत दर्ज कराई थी. शिकायत में दावा किया गया था कि पवन कुमार सिंह, प्रबंध समिति में शामिल होने के लिए अयोग्य हैं, क्योंकि उनके तीन बच्चे हैं. उन्होंने तर्क दिया कि ये एमसीएस अधिनियम की धारा 154(बी)(23) का उल्लंघन है.

शिकायत के बाद पवन कुमार सिंह के वकील ने दलील दी कि एमसीएस अधिनियम की धारा 154बी(1) सहकारी आवास समितियों पर एमसीएस अधिनियम की धारा 154बी-1 से 154बी-31 की प्रयोज्यता (Applicability) को बाहर करती है, जिसका मतलब है कि उप रजिस्ट्रार उन्हें अयोग्य घोषित नहीं कर सकते.

सिंह के वकील उदय वरुंजिकर ने कहा कि संबंधित प्रावधान हाउसिंग सोसाइटियों पर लागू होते हैं. इसके बाद जस्टिस घरोटे ने वरुंजिकर की दलीलों को स्वीकार करते हुए कहा कि धारा 154(बी)(23) एक स्वतंत्र प्रावधान है, स्वतंत्र रूप से संचालित होता है और यदि किसी सदस्य के दो से अधिक बच्चे हैं तो उसे अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा.

बॉम्बे हाई कोर्ट ने पवन कुमार सिंह की ओर से पेश वकील की इस दलील को भी खारिज कर दिया कि तीन बच्चों में से एक उनका नहीं है. उधर, तीसरे बच्चे को लेकर शिकायतकर्ताओं ने दावा किया था कि वो उनका ही बच्चा है क्योंकि सिंह के परिवार के राशन कार्ड में तीसरे बच्चे का नाम दर्ज है.

पहले भी इस कानून के तहत हो चुकी है कार्रवाई

महाराष्ट्र में इस कानून के तहत पहले भी कार्रवाई हो चुकी है. अगस्त 2018 में सायन में एक हाउसिंग सोसाइटी के तीन समिति सदस्यों को दो से ज़्यादा बच्चे होने के कारण उनके पदों से निलंबित कर दिया गया था. इसके पहले भी यानी 2017 में मुंबई सेंट्रल में एक हाउसिंग सोसाइटी ने महाराष्ट्र सहकारी सोसायटी अधिनियम, 1960 के एक प्रावधान के तहत दो लोगों को निलंबित कर दिया था, जबकि कुछ साल पहले पवई और कांदिवली में हाउसिंग सोसाइटियों में भी इसी तरह की कार्रवाई की गई थी.