Maharashtra Assembly Election results 2024: महाराष्ट्र विधानसभा चुना के नतीजे लगभग-लगभग आ चुके हैं महायुति की सरकार बनना तय है. लेकिन 15वीं महाराष्ट्र विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष (LoP) का पद खाली रह सकता है. यह स्थिति तब बनी है जब महा विकास अघाड़ी (MVA) गठबंधन, जिसमें शिवसेना (UBT), कांग्रेस और एनसीपी (शरद पवार गुट) शामिल हैं, अपनी राजनीतिक ताकत को अपेक्षित संख्या तक नहीं पहुंचा सका.
विधानसभा नियमों के अनुसार, नेता प्रतिपक्ष बनने के लिए किसी पार्टी को विधानसभा की कुल 288 सीटों का कम से कम 10 प्रतिशत (29 सीटें) हासिल करना अनिवार्य है. हालांकि, मौजूदा समीकरणों को देखते हुए MVA के किसी भी घटक दल के पास यह योग्यता नहीं है. ताजा आंकड़ों की बात करें तो इस समय महायुति 229 सीटों पर जीत रही है. महाविकासी अघाड़ी 47 सीटों पर है. पार्टी वाइस बात करें तो बीजेपी को 65 सीटें जीत चुकी है, 68 सीटों पर आगे चल रही है. वहीं, शिवसेना (शिंदे गुट) 32 सीटें जीत चुकी है, जबकि 25 सीटों पर आगे चल रही है. एनसीपी (अजित पवार) 26 सीटें जीत चुकी है, जबकि 15 पर लीड कर रही है.
शिवसेना (UBT): 21 सीटें पर आगे
कांग्रेस: 16 सीटें पर आगे
एनसीपी (शरद पवार गुट): 10 सीटें पर आगे
इन आंकड़ों के साथ न तो शिवसेना (UBT) और न ही कांग्रेस 29 सीटें जीतती नजर आ रही हैं. यह नियम गठबंधन की संयुक्त संख्या को मान्यता नहीं देता, जिससे MVA को इस पद से वंचित रहना पड़ेगा.
MVA का यह राजनीतिक पराजय गठबंधन के लिए बड़ा झटका है. एक समय शरद पवार और उद्धव ठाकरे जैसे मजबूत नेता इस गठबंधन की रीढ़ माने जाते थे. लेकिन समय के साथ आंतरिक असंतोष और बीजेपी की मजबूत रणनीति ने MVA को कमजोर कर दिया.
MVA की गिरावट: शिवसेना (UBT) के लिए यह बड़ी हार है, जो कभी महाराष्ट्र की मजबूत राजनीतिक ताकत थी.
एनसीपी में बिखराव: शरद पवार गुट की सीटें 10 तक सीमित रह गईं, जबकि अजित पवार गुट ने भाजपा से हाथ मिला लिया.
कांग्रेस की कमजोरी: कांग्रेस, जो कभी राज्य की प्रमुख पार्टी थी, अब केवल 16 सीटों पर सिमट कर रह गई है.
ऐतिहासिक संदर्भ: बिना नेता प्रतिपक्ष का सदन
2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में किसी भी विपक्षी दल के 10 फीसदी सांसद नहीं थे. इसी वजह से लोकसभा में यह पद खाली थी. हालांकि, 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 99 सीटें मिला. और राहुल गांधी विपक्ष के नेता बने.
महाराष्ट्र में नेता प्रतिपक्ष का न होना न केवल MVA के लिए एक बड़ी असफलता है, बल्कि यह राज्य की राजनीति में शक्ति संतुलन को भी प्रभावित करेगा. शिवसेना (UBT), कांग्रेस, और एनसीपी जैसे दलों को अपनी रणनीति में बदलाव करना होगा ताकि वे अपनी राजनीतिक पकड़ को फिर से मजबूत कर सकें. फिलहाल, यह स्थिति बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के लिए एक सुनहरा अवसर साबित हो सकती है.