Loksabha Election 2024: पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपनी अलग धाक रखने वाले राष्ट्रीय लोकदल (RLD) की NDA में आने की स्क्रिप्ट एक साल पहली ही तैयार हो चुकी थी. भाजपा ने समाजवादी पार्टी के साथ आरएलडी के गठबंधन में सेंध लगा दी थी. आखिरकार आज यानी 12 फरवरी को जयंत चौधरी ने आधिकारिक रूप से एनडीए में शामिल होने की घोषणा कर दी है.
भाजपा की ओर से राष्ट्रीय लोकदल पर डोरे डालने का सिलसिला साल जनवरी 2022 से शुरू हो गया था. उस वक्त केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि जयंत सही स्थान पर नहीं गए हैं. उनका इशारा रालोद का समाजवादी पार्टी के साथ जाने का था. उस वक्त पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाट वोटरों को साधने के लिए अमित शाह जाट नेताओं के साथ बैठकें कर रहे थे. इस बैठक के बाद प्रवेश वर्मा ने कहा था कि जयंत चौधरी से जाट समाज के प्रबुद्ध लोग बात करें. उनके लिए भाजपा के दरवाजे हमेशा खुले हुए हैं.
उस दौरान समाजवादी पार्टी से नजदीकियों के कारण जयंत चौधरी ने कटाक्ष के रूप में कहा था कि भाजपा पहले उन किसान परिवारों के पास जाए, जिन्होंने अपने 700 लोग खोए हैं. उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा था कि किसान आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के कारण 700 परिवार बर्बाद हुए थे.
साल 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान रालोद प्रमुख जयंत चौधरी ने समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन किया था. हालांकि जयंत को उनके ही गढ़ बागपत से हार का सामना करना पड़ा था. यहां से भाजपा के सत्यपाल सिंह जीते थे. हालांकि इससे पहले 2014 के चुनाव में भी सत्यपाल जीते थे.
राजनीतिक क्षेत्र की बात करें तो राष्ट्रीय लोकदल का पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अच्छा खासा प्रभाव है. करीब 15 जिलों में जाट बाहुल आबादी है. लोकसभा चुनाव 2024 को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी जाट वोटरों में सेंध लगाने की कोशिश में थी. इसी कारण उन्होंने जयंत चौधरी को एनडीए में शामिल किया है. मेरठ, मुजफ्फरनगर, बागपत, शामली, बिजनौर, गाजियाबाद, हापुड़. बुलंदशहर, मुरादाबाद, मथुरा, अलीगढ़, हाथरस और आगरा में रालोद की अच्छी पकड़ है. इन इलाकों में जाटों के साथ-साथ अहीर, गूजर और राजपूत भी काफी संख्या में हैं.
भाजपा के खिलाफ कांग्रेस के नेतृत्व में बने I.N.D.I.A गठबंधन में राष्ट्रीय लोकदल भी शामिल था. कांग्रेस पश्चिमी उत्तर प्रदेश में रालोद को लेकर काफी निश्चिंत थी. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपनी भारत जोड़ो यात्रा निकाली थी, लेकिन रालोद के एनडीए के साथ जाने के बाद I.N.D.I.A गठबंधन की कहानी पूरी तरह से बदल गई है. देखने वाली बात ये होगी कि कांग्रेस के साथ-साथ सपा को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कितना नुकसान होता है.