Lok Sabha Chunav: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कथित शराब घोटाले में गिरफ्तार कर लिया है. फिलहाल केजरीवाल न्यायिक हिरासत में हैं. इसके बाद दिल्ली समेत देश में केजरीवाल की गिरफ्तारी का चर्चा हो रही है. लोकसभा चुनाव से पहले केजरीवाल की गिरफ्तारी विपक्ष के लिए हथियार भी है.
आज हम आपको एक पूर्व प्रधानमंत्री की गिरफ्तारी का किस्सा सुना रहे हैं. चार दशक पहले दिल्ली में पूर्व प्रधानमंत्री को भी रात में करीब 8-9 बजे गिरफ्तार किया गया था. इसके बाद आगे की कहानी बड़ी दिलचस्प है.
देश में जारी आपातकाल खत्म हो चुका था. साल 1977 में आम चुनाव हुए और कांग्रेस की करारी हार हुई. इंदिरा गांधी अपनी सीट भी हार गईं. इसके बाद देश में जनता पार्टी की सरकार बनी. इसके बाद दिल्ली के रामलीला मैदान में विपक्षी दलों की विशाल रैली हुई. करारी हार के बाद इंदिरा गांधी राजनीति से गायब थीं. तभी बिहार में बाढ़ प्रभावित बेलछी में कई लोगों की हत्या हुई तो इंदिरा पीड़ित परिवारों से मिलने के लिए वहां पहुंचीं. इसके बाद वह रायबरेली गईं. उनके दौरे के बाद एक बार फिर से इंदिरा को जनसमर्थन मिलने लगा था. तभी जनता पार्टी सरकार में घबराहट होने लगी. एक दिन अचानक इंदिरा गांधी को गिरफ्तार कर लिया गया.
उस समय सत्ता में बैठे नेताओं को लगने लगा कि इंदिरा गांधी को ज्यादा तवज्जो मिलने लगी ऐसे में कहीं उनका सरकार खतरे में न पड़ जाए. इसके बाद जनता पार्टी की कैबिनेट में इंदिरा को गिरफ्तार करने की मांग उठने लगी. इससे पहले एक बार चौधरी चरण सिंह ने कहा था कि अगर वो सत्ता में आएंगे तो तिहाड़ की उसी कोठरी में इंदिरा को रखेंगे जहां उनको रखा गया था. तब देश के तत्कालीन पीएम मोरारजी देसाई का मानना था कि कानून के तहत ही ऐक्शन होना चाहिए. बताते हैं कि इस मामले में अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल से कोई मशविरा नहीं किया गया.
चरण सिंह ने एसपी लेवल के अधिकारियों की लिस्ट मंगाई. उसमें से सीबीआई में रहे आईपीएस अधिकारी एनके सिंह को चुना. मोरारजी ने एक शर्त लगाई कि इंदिरा गांधी को हथकड़ी नहीं पहनाई जाएगी. शुरू में 1 अक्टूबर को उन्हें गिरफ्तार किया जाना था. उस दिन शनिवार था तो प्लान टाल दिया गया. 2 अक्टूबर के बाद 3 तारीख को गिरफ्तार करने की योजना बनी. सीबीआई के डायरेक्टर को तलब कर आगे बढ़ने का प्लान बना. आईपीएस किरण बेदी को भी इस दौरान तैनात किया गया.
इंदिरा गांधी को गिरफ्तार करने के लिए जो आरोप लगा वह था कि उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान सरकारी जीप का दुरुपयोग किया. दूसरा आरोप था कि इंदिरा गांधी ने पीएम रहते एक फ्रेंच कंपनी को ड्रिलिंग का कॉन्ट्रैक्ट दिया, जिससे भारत सरकार को 11 करोड़ रुपये का घाटा हुआ.
शाम के 5.30 बजे के करीब एनके सिंह और उनकी टीम इंदिरा के आवास पर पहुंचती है. उस समय संजय गांधी बैडमिंटन खेल रहे थे. इंदिरा गांधी से कुछ लोग बातचीत कर रहे थे. मिलने की बात पर इंदिरा ने कहा कि पहले से अपॉइंटमेंट लेकर क्यों नहीं आए? एनके सिंह वहीं बाहर खड़े होकर इंतजार करने लगे. जैसे ही लोग इंदिरा से मिलकर बाहर आए, कुछ लोग अंदर चले गए. तब एनके सिंह गुस्से में बोले कि 15 मिनट के अंदर इंदिरा गांधी के पास नहीं ले जाया गया तो वह कड़ा फैसला लेने के लिए मजबूर हो जाएंगे.
एनके सिंह को करीब एक घंटे बाद इंदिरा के पास ले जाया गया. सिंह ने इंदिरा से कहा आपके खिलाफ करप्शन का केस दर्ज है. मैं आपको गिरफ्तार करने आया हूं. आपको मेरे साथ चलना होगा. यह बात सुनकर इंदिरा को गुस्सा आ गया और वह चिल्लाने लगीं. हथकड़ियां कहां हैं. मुझे हथकड़ी लगाओ. मुझे कोई डर नहीं है. खबर फैली तो वहां भीड़ इकट्ठा होने लगी. इंदिरा ने तैयार होने के लिए वक्त लिया. रात साढ़े आठ बजे इंदिरा को लेकर पुलिस अधिकारी वहां से निकले.
इंदिरा को लेकर जैसे ही कार आगे बढ़ी तो 2-3 कांग्रेस वर्कर कार के आगे लेट गए. उनको फरीदाबाद के गेस्ट हाउस लेकर जाना था. उनके पीछे कांग्रेस नेताओं की 10 कारों का काफिला चलने लगा. रास्ते में रेलवे फाटक आया तो काफिला रुक गया. वहां चबूतरे पर आकर इंदिरा बैठ गईं. यहां बहुत से लोगों ने विरोध किया कि बिना कोर्ट ऑर्डर के इंदिरा गांधी को दूसरे स्टेट में नहीं ले जा सकते. उन्हें दिल्ली से हरियाणा ले जाया जा रहा था. रेलवे फाटक खुल गया. इंदिरा ने कार में बैठने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि वकीलों का कहना है कि दूसरे स्टेट में नहीं ले जा सकते. वहां से काफिला वापस दिल्ली की तरफ मुड़ा और किंग्सवे कैंप में पुलिस मेस पहुंचा, जहां पर इंदिरा को गेस्ट हाउस में रखा गया.
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