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नैनीताल में लगी आग ने बढ़ाई टेंशन, जानें क्यों और कैसे जंगलों में धधकने लगती है ज्वाला?

Nainital Fire Updates: नैनीताल में जंगलों की आग ने वहां के लोगों के साथ-साथ उत्तराखंड सरकार की टेंशन बढ़ा दी है. इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि आग पर काबू पाने के लिए सेना को लगाया गया है. फिलहाल, आग पर काबू नहीं पाया जा सका है. सवाल ये कि आखिर जंगलों में आग कैसे लगती है? आग लगने के कारण क्या हैं? क्या जानबूझकर भी जंगलों में आग लगाई जाती है? आइए जानते हैं.

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Nainital Fire how forests catches fire who is responsible know reason

Nainital Fire Updates: नैनीताल के जंगलों में लगी आग ने देखते-देखते इतना विकराल रूप ले लिया कि इस पर काबू पाने के लिए सेना की मदद लेनी पड़ रही है. फिलहाल, सेना के हेलिकॉप्टर लगातार आग बुझाने में जुटे हुए हैं. आग से जंगल का बड़ा इलाका चपेट में आ गया है. आग के अब रिहायशी इलाकों तक पहुंचने की खबर है.

आग नैनीताल में लड़ियाकांटा एरिया के जंगलों में लगी है. आग के कारण निकल रहे धुएं से वहां के लोगों को सांस लेने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. फिलहाल, हेलिकॉप्टर के जरिए नैनीताल और भीमताल झील से पानी लाकर आग पर काबू पाने की कोशिशें जारी हैं. कहा जा रहा है कि आग नैनीताल के बलदियाखान, ज्योलिकोट, मंगोली, खुरपाताल, देवीधुरा, भवाली, पाईनस,भीमताल मुक्तेश्वर समेत अन्य आसपास के इलाकों में धधक रही है.

क्या आपको पता है कि आखिर जंगलों में आग लगती क्यों है? क्या ये आग खुद लगती है या फिर लगाई जाती है, क्योंकि शुक्रवार को जंगलों में आग लगने के मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार भी किया गया था. आइए इन सवालों के जवाब जानते हैं.

जंगलों में आग लगने का क्या कारण है?

आमतौर पर गर्मियों के मौसम या पतझड़ के मौसम में जंगलों में आग लगती है. ये वो वक्त होता है, जब जंगलों में पेड़ के गिरे सूखे पत्ते होते हैं. आपने सुना होगा कि कभी-कभी दो पत्थरों के टकराने से चिंगारी निकलती है. उत्तराखंड में 13 में से 9 जिले पहाड़ों पर हैं. पहाड़ों पर जंगल भी हैं. गर्मी के मौसम में जंगल में जब सूखे पत्ते होते हैं और ऐसे समय में जब पहाड़ से पत्थर गिरकर टकराते हैं तो उसमें से निकलने वाली चंगारी से आग लगने की संभावना ज्यादा होती है. इस दौरान हवा चलने के कारण आग चंद मिनटों में विकराल रूप ले लेती है.

इसके अलावा, जंगलों में लगने वाली आग के लिए इंसान भी जिम्मेदार होते हैं. पहाड़ों पर अक्सर जंगलों से रास्ते गुजरते हैं. ऐसे में इन रास्तों से सफर के दौरान कई लोग बीड़ी या सिगरेट पीकर फेंक देते हैं या फिर माचित की तिली भी डाल देते हैं, जो जंगलों में आग लगने का कारण बनती है. अगर एक बार आग लग जाती है तो फिर जंगलों में चलने वाली हवा की वजह से वो विकराल रूप धारण कर लेती है.

नैनीताल के जंगलों में कैसे लगी आग?

उत्तराखंड पुलिस ने जखोली और रुद्रप्रयाग में जंगल में आग लगाने के आरोप में 3 लोगों को गिरफ्तार किया है. रुद्रप्रयाग के प्रभागीय वनाधिकारी अभिमन्यु के मुताबिक, जंगल की आग को रोकने के लिए गठित टीम की ओऱ से ये कार्रवाई की गई. 

उन्होंने बताया कि गिरफ्तार किए गए तीन लोगों में से एक जखोली के तड़ियाल गांव का रहने वाला है, जिसका नाम नरेश भट्ट है. उसे जंगल में आग लगाते हुए पकड़ा गया था. पूछताछ में नरेश ने बताया कि उसने जंगल में आग इसलिए लगाई, क्योंकि उसके पशुओं को चारे के रूप में घास नहीं मिल रहा था. उसने आग लगा दी, तो सारे सूखे पत्ते जल गए. अब बारिश के बाद जंगलों में घास उगेगी, जो उसके पशुओं का चारा बनेगा.