बंगाल: कोलकाता के पंचाननग्राम में स्थित गुलशन कॉलोनी एक बार फिर सुर्खियों में है. वजह है वोटर लिस्ट का विशेष सघन पुनरीक्षण (SIR). इस प्रक्रिया के शुरू होते ही इलाके में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है. वहीं, गुलशन कॉलोनी को लेकर मीडिया रिपोर्ट्स में बड़ा खुलासा हुआ है. स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां करीब एक लाख लोग रहते हैं, लेकिन वोटर लिस्ट में सिर्फ 3–4 हजार नाम हैं.
आबादी और वोटरों के बीच इतना बड़ा अंतर अब राजनीतिक विवाद का सबसे बड़ा मुद्दा बन गया है. गुलशन कॉलोनी की तंग गलियों, टूटे-फूटे मकानों और कम रोशनी वाली सड़कों में बड़ी संख्या में मजदूर, छोटे दुकानदार और किरायेदार परिवार रहते हैं. यहां ज्यादातर लोग अल्पसंख्यक समुदाय से आते हैं. कुछ साल पहले यह कॉलोनी तब चर्चा में आई थी, जब स्थानीय पार्षद पर हमला करने वाला आरोपी इसी इलाके का पाया गया था.
अब SIR शुरू होने के बाद लोग सुबह-सुबह ही सहायता केंद्रों पर फॉर्म और दस्तावेज से जुड़ी जानकारी लेने पहुंच रहे हैं. कई लोग बताते हैं कि वे वास्तव में बिहार और उत्तर प्रदेश से आए मजदूर परिवार हैं, जबकि कुछ का दावा है कि उन्हें अभी तक कोई फॉर्म मिला ही नहीं.
टीएमसी नेता फरूक का कहना है कि विपक्ष झूठा प्रचार फैला रहा है. उनके अनुसार, यहां रहने वाले बहुत से लोग दूसरे राज्यों से आए हैं, इसलिए वोटर संख्या कम है. वे साफ कहते हैं, 'यहां कोई अवैध घुसपैठ नहीं है.' बीजेपी इसे मानने को तैयार नहीं. उनका आरोप है कि कम वोटर सूची का मतलब है कि यहां अवैध रूप से बसे लोगों की संख्या ज्यादा है. प्रदेश अध्यक्ष शामिक भट्टाचार्य का दावा है, 'अधिकतर लोग बांग्लादेश से आए हैं, SIR पूरी होते ही सच सामने आ जाएगा.'
इतने विविध समुदाय और स्थानों से आए लोगों के बीच यह तय करना आसान नहीं कि कौन स्थानीय है और कौन प्रवासी. मजदूरों और किरायेदारों की लगातार आवाजाही से आबादी और वोटर संख्या के बीच बड़ा अंतर बन जाता है. इधर बीजेपी लगातार इसे 'बांग्लादेशी और रोहिंग्या बस्ती' बता रही है, जबकि टीएमसी इसे बीजेपी का ध्रुवीकरण एजेंडा कहती है.
SIR ने गुलशन कॉलोनी को चुनाव से ठीक पहले राजनीतिक बहस का केंद्र बना दिया है. सबसे ज्यादा परेशान स्थानीय लोग हैं वे सिर्फ यही चाहते हैं कि उनका नाम वोटर सूची में बना रहे. जांच जारी है, आरोप-प्रत्यारोप भी. लेकिन इतना तय है कि गुलशन कॉलोनी अब चुनावी राजनीति में एक नए विवादित इलाके के रूप में उभर चुकी है.