जम्मू-कश्मीर में हर रोज विधानसभा चुनाव दिलचस्प होता जा रहा है. इस बार चुनाव में अलगाववादी नेता भी मैदान में उतर रहे हैं. जेल में बंद कश्मीरी अलगाववादी नेता और मौलवी सरजन अहमद वागे ने शोपियां जिले के जैनपोरा विधानसभा क्षेत्र से से नॉमिनेशन फाइल किया. मौलवी सरजन अहमद वागे को सरजन बरकाती के नाम से जाना जाता है. 40 साल से ज्यादा की उम्र के बरकती 2016 में कुलगाम और शोपियां जिलों में हिज्बुल मुजाहिदीन कमांडर बुरहान वानी की हत्या के बाद हुए विरोध प्रदर्शन में अहम शख्स थे.
यह विरोध प्रदर्शन तीन महीने से भी ज्यादा समय तक चला था. पिछले साल उन्हें एक फंड जुटाने वाले कार्यक्रम से जुड़े मामले में गिरफ्तार किया गया था. कुछ महीने के बाद उनकी पत्नी को भी इसी मामले में पुलिस ने अरेस्ट कर लिया था.
बरकाती की बेटी सुगरा ने उनका नॉमिनेशन फाइल किया है. जब सुगरा नॉमिनेशन फाइल करने के लिए जा रही थी तो उससे पहले उन्होंने अपने गांव रेबन के लोगों से पिता को समर्थन देने के लिए कहा, 'मेरे पिता को आप के समर्थन की बहुत जरूरत है. शायद बाबा यह देख भी रहे होंगे. उन्हें दुख होगा कि उनके मासूम बच्चे बिल्कुल अकेले हैं'. नारे लगाने के बाद में सुगरा रो पड़ी.
बता दें कि एनआईए ने अगस्त 2023 में बरकाती को अरेस्ट किया था. एजेंसी ने कहा कि यह मामला क्राउडफंडिंग के जरिए फंड जुटाने के अभियान में बरकती से जुड़ा हुआ है. इसकी वजह से करोड़ों रूपये जमा किए गए. बाद में इन पैसों का गलत तरीके से इस्तेमाल किया गया. घाटी में घर-घर फेमस होने से पहले बरकती उम्मत-ए-इस्लामी से जुड़े थे. यह काजी निसार के द्वारा बनाया गया एक धार्मिक संगठन है.
अब इसे उनके बेटे काजिर यासिर चला रहे हैं. नारे लगाने के अपने अनोखे अंदाज के लिए जाने जाने वाले बरकाती 2016 के विरोध प्रदर्शन के बाद में फेमस हो गए थे और उन्हें फ्रीडम चाचा के नाम से लोग जानने लगे.उनके नेतृत्व में कुलगाम और शोपियां में ज्यादातर रैलियां निकाली. पुलिस ने कहा कि उनके खिलाफ 2016 में रैलियां को लेकर 30 केस दर्ज किया गया.
हालांकि पुलिस ने कई मौकों पर फ्रीडम च्चा को गिरफ्तार करने की कोशिश की लेकिन वह किसी तरह से बच निकला. उसके बाद 2016 में उसे अरेस्ट कर उस पर पीएसए के तहत केस दर्ज कर लिया गया.हालांकि दो साल बाद ही उसे छोड़ दिया गया लेकिन फिर वह गिरफ्तार हुआ और 2022 में रिहा हो गया.