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अचानक फिर चर्चा में आया अमृतपाल सिंह, पंजाब की इस लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी

Amritpal Singh: एक साल से जेल में बंद अमृतपाल सिंह अब लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में है. उसके वकील ने दावा किया है कि वह खडूर साहिब से निर्दलीय चुनाव लड़ेगा.

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Amritpal Singh
Courtesy: Social Media

एक साल पहले गिरफ्तार किए गए 'वारिस पंजाब दे' संगठन के मुखिया और खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह का नाम एक बार फिर चर्चाओं में आ गया है. एक साल से असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद अमृतपाल सिंह लोकसभा चुनाव में उतर सकता है. उसके वकील ने दावा किया है कि जेल में रहते हुए ही अमृतपाल सिंह लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में है. वह पंजाब की खडूर साहिब लोकसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ेगा. साल 2022 में एक और खालिस्तान समर्थक सिमरनजीत सिंह मान ने संगरूर लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में जीत हासिल की थी और सांसद बन गए थे.

पंजाब में एक पुलिस स्टेशन पर हुए हमले के बाद लोगों को भड़काने, उग्रवाद को बढ़ावा देने और भड़काऊ भाषण देने के मामले में अमृतपाल सिंह समेत कुल 10 लोगों को गिरफ्तार किया गया था. अमृतपाल सिंह को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत गिरफ्तार किया गया है. अब अमृतपाल सिंह के पिता तरसेम सिंह का कहना है कि वह गुरुवार को अपने बेटे से जेल में मुलाकात करेंगे और इसके बाद ही कोई फैसला करेंगे.

क्या कहते हैं अमृतपाल के पिता?

तरसेम सिंह का यह भी कहना है कि अमृतपाल सिंह ने शुरुआत में राजनीति में आने को लेकर कोई रुचि नहीं दिखाई थी. दरअसल, ये बातें तब शुरू हुईं जब अमृतपाल सिंह के वकील राजदेव सिंह खालसा ने कहा कि उन्होंने असम की डिब्रूगढ़ जेल में अमृतपाल से मुलाकात की और उससे चुनाव लड़ने का अनुरोध किया.

राजदेव सिंह खालसा का कहना है, 'मैं जेल में भाई अमृतपाल सिंह से मिला और मैंने उनसे अनुरोध किया कि खालसा पंथ के हित में उन्हें इस बार सांसद बनने के लिए खडूर साहिब से लोकसभा का चुनाव लड़ना चाहिए. भाई साहब ने मेरा अनुरोध स्वीकार कर लिया है और वह निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ेंगे.'

बता दें कि पिछले साल 23 फरवरी को अजनाला में जुटे अमृतपाल सिंह के समर्थकों ने पुलिस की बैरिकेडिंग तोड़ दी थी और थाने पर ही धावा बोल दिया था. इस दौरान लवप्रीत सिंह तूफान को पुलिस के कब्जे से छुड़ा ले जाने को लेकर जमकर हंगामा भी हुआ था. शुरुआत में वह कई हफ्तों तक छिपता रहा लेकिन आखिरकर 23 अप्रैल को एक गांव से उसे गिरफ्तार कर लिया गया था.