menu-icon
India Daily
share--v1

एक हिंदुस्तानी का दिल बचा गया पाकिस्तान की 'आयशा' की जान, दिल छू लेगी ये कहानी

Indian Heart Gives Pak Teen New Life: पाकिस्तान की 19 साल की आयशा सोशल मीडिया पर चर्चा में बनी हुई है. आयशा कुछ दिनों पहले भारत पहुंची थीं. यहां उनके साथ कुछ ऐसा हुआ कि न सिर्फ आयशा बल्कि उनका पूरा परिवार भारत और यहां के लोगों की जमकर तारीफ कर रहा है. आइए, जानते हैं कि कहानी क्या है?

auth-image
India Daily Live

Indian Heart Gives Pak Teen New Life: भारत और पाकिस्तान का जब भी नाम आता है, तो दिल-दिमाग में एक अलग छवि बनती है. लेकिन इस बार जो कुछ हुआ है, उससे आपके रोंगटे नहीं खड़े होंगे, बल्कि ये कहानी ऐसी है कि भारतीय होने पर आपको गर्व होगा. ये कहानी ऐसी है जो आपके दिल को छू जाएगी.

पाकिस्तान की रहने वाली 19 साल की आयशा फ्यूचर में फैशन डिजाइनर बनना चाहती है, लेकिन किस्मत उसके साथ ऐसा खेल खेलती है कि उसे लगता है कि उसका सपना पूरा नहीं हो पाएगा. कुछ महीनों की उधेड़बुन के बाद उसे अचानक लगने लगता है कि अब वो अपने सपने को जरूर पूरा कर लेगी. दरअसल, आयशा रशन पिछले करीब 10 साल से हार्ट डिजिज से पीड़ित थी. पाकिस्तान में काफी इलाज के बाद जब उन्हें इस रोग से छुटकारा नहीं मिला, तो उनका परिवार भारत आया. 

बात 2014 की है. आयशा अपने माता-पिता के साथ चेन्नई आईं. यहां उनके हार्ट को सपोर्ट देने के लिए हार्ट पंप ट्रांसप्लांट किया गया. लेकिन दुर्भाग्य था कि ये सफल नहीं हुआ. इसके बाद डॉक्टरों ने उनकी जान बचाने के लिए हार्ट ट्रांसप्लांट की सलाह दी. अब आयशा को नई जिंदगी मिली है. उनके सीने में भारतीय शख्स का हार्ट ट्रांसप्लांट किया गया है. बेटी के दोबारा से खिलखिलाने पर उनकी मां ने भारत और यहां के डॉक्टरों की जमकर तारीफ की है. आयशा ने भी अपने सफल हार्ट ट्रांसप्लांटेशन के बाद कहा कि मैं भारतीय दिल पाकर बहुत खुश हूं. मैं भारत सरकार को धन्यवाद देती हूं और डॉक्टरों को भी धन्यवाद देती हूं.

चेन्नई के MGM हेल्थकेयर में निशुल्क हुआ हार्ट ट्रांसप्लांट

रिपोर्ट्स के मुताबिक, आयशा रशन को चेन्नई के एमजीएम हेल्थकेयर में एडमिट कराया गया था, जहां निशुल्क उनका हार्ट ट्रांसप्लांट किया गया और उन्हें नई जिदंगी मिली. ऐश्वर्याम ट्रस्ट ने हार्ट ट्रांसप्लांट के लिए 35 लाख रुपये की आर्थिक मदद की है. 

आयशा के परिवार के मुताबिक, जब उनकी बेटी का हार्ट पंप ट्रांसप्लांट सक्सेस नहीं हुआ तो उन्होंने एमजीएम हेल्थकेयर अस्पताल में इंस्टीट्यूट ऑफ हार्ट एंड लंग ट्रांसप्लांट के डायरेक्टर डॉ. केआर बालाकृष्णन और को-डायरेक्टर डॉ. सुरेश राव से सलाह मांगी. मेडिकल टीम ने कहा कि आयशा की जान बचाने के लिए हार्ट ट्रांसप्लांट करना बेहद जरूरी है. इसके बाद आयशा को कुछ दिनों के लिए एक्स्ट्रा कॉर्पोरियल मेम्ब्रेन ऑक्सीजनेशन (ECMO) प्रोसेस पर रखा गया. 

जब आयशा के परिवार को जानकारी हुई कि पूरी प्रक्रिया में करीब 35 लाख रुपये खर्च होंगे, तो उन्होंने इस खर्च को उठाने में असमर्थता जताई. इसके बाद मेडिकल टीम ने आयशा के परिवार को ऐश्वर्याम ट्रस्ट के बारे में बताया, जहां से उन्हें इलाज के लिए 35 लाख रुपये की मदद मिली.

छह महीने पहले आयशा को मिला था हार्ट

आयशा को छह महीने पहले दिल्ली के शख्स से हार्ट मिला था. देश में करीब 18 महीने रहने के बाद उनकी सफल सर्जरी की गई. आयशा की मां सनोबर ने बताया कि जब वे भारत पहुंचीं तो आयशा मुश्किल से जिंदा थी, उसकी हालत काफी बिगड़ गई थी.उन्होंने कहा कि सच कहूं तो, भारत की तुलना में पाकिस्तान में कोई अच्छी मेडिकल फेसिलिटिज नहीं हैं.
 

Also Read