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कर्नाटक में भाषा विवाद गरमाया; CM सिद्धारमैया बोले- 60% कन्नड़ बोर्ड जरूरी, जल्द लाएंगे अध्यादेश

भाजपा के सीनियर नेता केएस ईश्वरप्पा ने कहा कि कन्नड़ समर्थक संगठनों की ये मांग कि कर्नाटक में व्यापार करने वालों के बोर्ड कन्नड़ में होने चाहिए, सही है, लेकिन कर्नाटक सरकार इस नियम को लागू क्यों नहीं कर रही है?

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Om Pratap
Kannada language row

हाइलाइट्स

  • सिद्धारमैया सरकार ने 2018 में भी जारी किया था कन्नड़ साइनबोर्ड वाला सर्कुलर
  • CM बोले- साइनबोर्ड और नेम प्लेट पिछले सर्कुलर के अनुसार 60:40 होनी चाहिए

Kannada language row CM Siddaramaiah bring ordinance: कर्नाटक में भाषा विवाद गरमा गया है. मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा है कि कन्नड़ बोर्ड जरूरी हैं. ये कन्नड़ नाडु है और यहां बोर्ड कन्नड़ में होने ही चाहिए. हम अन्य भाषाओं के विरोधी नहीं हैं, लेकिन कन्नड़ प्रमुख होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि मैंने BBMP और संस्कृति विभाग के अधिकारियों को एक अध्यादेश पारित करने और सभी नेमप्लेट पर 60% कन्नड़ नियम लागू करने का निर्देश दिया है. सिद्धारमैया ने अधिकारियों से एक अध्यादेश का मसौदा तैयार करने को कहा, जो 28 फरवरी, 2024 को लागू होगा. उन्होंने कहा कि सभी दुकानों, व्यावसायिक प्रतिष्ठानों, होटलों, मॉल और अस्पतालों को नए अध्यादेश का पालन करना होगा.

सिद्धारमैया ने कहा कि सरकार जल्द ही एक अध्यादेश पारित करेगी, जिसमें सभी व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को कम से कम 60% कन्नड़ साइनेज वाले साइनबोर्ड और नेम प्लेट का उपयोग करने का निर्देश दिया जाएगा. सीएम ने बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (BBMP) के साथ-साथ कन्नड़ और संस्कृति विभाग के अधिकारियों से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने बेंगलुरु में दुकानों और प्रतिष्ठानों में तोड़फोड़ की निंदा की और कहा कि नया अध्यादेश 28 फरवरी, 2024 तक लागू होगा.

कर्नाटक रक्षणा वेदिके के कार्यकर्ताओं ने की थी तोड़फोड़

मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के अध्यादेश लाने वाली घोषणा से एक दिन पहले कर्नाटक रक्षणा वेदिके (नारायण गौड़ा गुट) के कार्यकर्ताओं ने बेंगलुरु के व्यावसायिक इलाकों में जमकर उत्पात मचाया था. उन्होंने दुकानों के बाहर लगे अंग्रेजी वाले साइनबोर्ड को तोड़ दिया था. उधर, फेडरेशन ऑफ कर्नाटक चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (FKCCI) ने सरकारी नियमों का पालन करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है. हालांकि, FKCCI ने राज्य सरकार से 28 फरवरी, 2024 की समय सीमा तक नियम के तहत कोई कार्रवाई नहीं करने का अनुरोध किया.

सिद्धारमैया ने कहा कि सरकार कन्नड़ भाषा व्यापक विकास अधिनियम (KLCDA)- 2022 की धारा 17(6) में संशोधन करने की योजना बना रही है, जिसे पिछली भाजपा सरकार ने विधानसभा चुनाव से ठीक पहले लागू किया था. प्रस्तावित संशोधन का उद्देश्य कन्नड़ में जानकारी के लिए साइनबोर्ड और नेमप्लेट पर स्थान के आवंटन से संबंधित प्रावधान को संशोधित करना है.

क्या है KLCDA-2022 की धारा 17(6)?

मुख्यमंत्री ने कहा कि अधिनियम की धारा 17(6) में वर्तमान में प्रावधान है कि वाणिज्यिक संस्थाओं, संस्थानों, अस्पतालों, प्रयोगशालाओं, मनोरंजन केंद्रों, होटलों आदि को साइनबोर्ड और नेमप्लेट पर आधा स्थान कन्नड़ में जानकारी के लिए आवंटित करना होगा. बाकी बचे जगह में किसी अन्य भाषा में जानकारी दी जा सकती है. मुख्यमंत्री ने कहा कि मैंने अपने पिछले कार्यकाल के दौरान (2018) एक सर्कुलर जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि नेमप्लेट और साइनबोर्ड पर 60% जगह कन्नड़ में होनी चाहिए.

मुख्यमंत्री ने गुरुवार को कहा कि हमने तय किया कि साइनबोर्ड और नेम प्लेट पिछले सर्कुलर के अनुसार 60:40 होनी चाहिए. हम उक्त अधिनियम की धारा 17(6) में एक संशोधन लाएंगे, जिसे कन्नड़ और संस्कृति विभाग द्वारा पेश किया गया था. सिद्धारमैया ने बुधवार को हुए विरोध प्रदर्शनों में शामिल लोगों को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि सरकार शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन का समर्थन करती है, लेकिन कानून का उल्लंघन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. मैं सभी संगठनों और कार्यकर्ताओं से अपील करता हूं कि वे कानून को अपने हाथ में न लें.

कर्नाटक रक्षणा वेदिके चीफ समेत 29 गिरफ्तार

बता दें कि बेंगलुरु पुलिस ने बुधवार को बेंगलुरु के विभिन्न इलाकों में दुकानों में तोड़फोड़ करने के आरोप में कर्नाटक रक्षणा वेदिके प्रमुख नारायण गौड़ा और 28 अन्य को गिरफ्तार किया. वे फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं और बेंगलुरु की परप्पाना अग्रहारा जेल भेज दिए गए हैं. उधर, उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने भी प्रदर्शनकारियों से दुकानों में तोड़फोड़ नहीं करने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि प्रदर्शनकारी दुकान मालिकों से नियम लागू करने के लिए कह सकते हैं, लेकिन वे कानून अपने हाथ में नहीं ले सकते. हमें हर नागरिक की रक्षा करनी है. 

वहीं, भाजपा के सीनियर नेता केएस ईश्वरप्पा ने प्रदर्शनकारियों का समर्थन किया और उनकी तत्काल रिहाई का आह्वान किया. ईश्वरप्पा ने कहा कि कन्नड़ समर्थक संगठनों की ये मांग कि कर्नाटक में व्यापार करने वालों के बोर्ड कन्नड़ में होने चाहिए, सही है, लेकिन कर्नाटक सरकार इस नियम को लागू क्यों नहीं कर रही है? नारायण गौड़ा की गिरफ्तारी गलत है और उन्हें रिहा किया जाना चाहिए. मैं मुख्यमंत्री से उन्हें रिहा करने का आग्रह करता हूं, उन्होंने कुछ भी अवैध नहीं किया है.