मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित तीन सदस्यीय जांच समिति ने जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास पर पहुंचकर जांच शुरू की. इस समिति में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जीएस संधवालिया और कर्नाटक हाई कोर्ट की जस्टिस अनु शिवरामन शामिल थे. समिति ने जस्टिस वर्मा के आधिकारिक आवास पर पहुंचकर मामले की तहकीकात शुरू की. यह जांच तब शुरू हुई जब 14 मार्च को जस्टिस वर्मा के आवास के स्टोररूम में आग लगने से बड़ी मात्रा में नकदी जलने की खबर सामने आई थी. जांच के बाद समिति को उनके आवास से निकलते देखा गया.
नकदी जलने का मामला
जस्टिस वर्मा का तबादला
इससे पहले, भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठतम जजों की अगुवाई वाले कॉलेजियम ने जस्टिस यशवंत वर्मा के तबादले की सिफारिश की थी. कॉलेजियम ने उन्हें उनकी मूल संस्था, इलाहाबाद हाई कोर्ट में स्थानांतरित करने का प्रस्ताव दिया था.
इलाहाबाद बार का विरोध
इस घटनाक्रम के बाद इलाहाबाद बार एसोसिएशन ने अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी. बार एसोसिएशन ने इस मामले में पारदर्शिता और निष्पक्ष जांच की मांग की है. यह हड़ताल तब तक जारी रहेगी जब तक इस विवाद का समाधान नहीं हो जाता.