Justice Oka Retirement: सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति ए.एस. ओका ने अपने अंतिम कार्यदिवस पर एक ऐसी मिसाल कायम की, जो लंबे समय तक याद रखी जाएगी. अपनी मां के निधन के महज एक दिन बाद भी उन्होंने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में 11 अहम फैसले सुनाए. यह कदम उनकी कर्तव्यनिष्ठा और न्यायपालिका के प्रति समर्पण को दर्शाता है.
रिटायरमेंट से पहले मां के अंतिम संस्कार में हुए शामिल
बता दें कि 24 मई को रिटायर होने जा रहे जस्टिस ओका ने गुरुवार को अपनी मां के अंतिम संस्कार में हिस्सा लेने के लिए मुंबई का रुख किया था. इसके बावजूद उन्होंने शुक्रवार को अपनी सामान्य पीठ में बैठकर फैसले सुनाए और फिर मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई के साथ औपचारिक पीठ का हिस्सा बने.
'रिटायरमेंट के दिन काम न करने की परंपरा से सहमत नहीं'
इस हफ्ते सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन (SCOARA) द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में जस्टिस ओका ने कहा, ''मैं सुप्रीम कोर्ट में चली आ रही एक परंपरा को स्वीकार नहीं करता कि रिटायर होने वाले जज को आखिरी दिन काम नहीं करना चाहिए. हमें उस परंपरा से छुटकारा पाने में कुछ समय लगेगा, लेकिन कम से कम मुझे इस बात की संतुष्टि है कि आखिरी दिन मैं एक नियमित बेंच में बैठूंगा और कुछ फैसले सुनाऊंगा.''
वहीं जस्टिस ओका ने यह भी कहा कि उन्हें "सेवानिवृत्ति" शब्द पसंद नहीं है. उन्होंने जनवरी 2025 तक अधिक से अधिक मामलों की सुनवाई करने का फैसला लिया है ताकि न्याय प्रक्रिया में निरंतरता बनी रहे.
जस्टिस ओका का करियर प्रोफाइल
इसके अलावा, 25 मई 1960 को जन्मे ए.एस. ओका ने 1985 में बॉम्बे हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश वी.पी. टिपनिस के चैंबर से वकालत की शुरुआत की थी. 2003 में उन्हें बॉम्बे हाई कोर्ट का अतिरिक्त न्यायाधीश बनाया गया और 2005 में स्थायी नियुक्ति मिली. इसके बाद वे 2019 में कर्नाटक हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने और 2021 में सुप्रीम कोर्ट पहुंचे.