menu-icon
India Daily
share--v1

चंपई को ऐसे ही नहीं सौंपी CM की कुर्सी, जानें हेमंत का 'मास्टरस्ट्रोक'

चंपई सोरेन जब शपथ ले लेंगे, तब वो कोल्हान क्षेत्र से मुख्यमंत्री बनने वाले चौथे नेता होंगे. इससे पहले यहां से जो तीन मुख्यमंत्री बने हैं, उनमें से दो भारतीय जनता पार्टा के नेता रहे हैं.

auth-image
Om Pratap
Jharkhand Political Crisis

हाइलाइट्स

  • कोल्हान क्षेत्र से चौथे मुख्यमंत्री होंगे JMM के सीनियर नेता चंपई सोरेन
  • गिरफ्तारी से कुछ घंटे पहले ही चंपई को घोषित किया था उत्तराधिकारी

Champai Soren jharkhand new CM: जमीन घोटाला से संबंध मनी लॉन्ड्रिंग मामले में फंसने से पहले ही हेमंत सोरेन ने सरायकेला से अपनी पार्टी यानी झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के विधायक चंपई सोरेन को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था. हालांकि, ये सार्वजनिक तब हुआ, जब महागठबंधन के विधायकों ने चंपई सोरेन को अपना नेता चुना. इससे पहले अटकलें थीं कि हेमंत सोरेन अपनी पत्नी कल्पना को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठा सकते हैं. लेकिन ऐसा क्या हुआ कि हेमंत ने चंपई सोरेन को अपना उत्तराधिकारी बना दिया, क्या इसके पीछे कोई बड़ी वजह है, क्या ये हेमंत सोरेन का मास्टरस्ट्रोक है. आइए, इसे समझते हैं.

कहानी में आगे बढ़ने से आपको बता दें कि चंपई सोरेन आज झारखंड के 12वें मुख्यमंत्री के रूप में पद एवं गोपनीयता की शपथ लेंगे. चंपई सोरेन झारखंड कैबिनेट में परिवहन मंत्री हैं. झारखंड टाइगर के नाम से मशहूर चंपई सोरेन को शिबू सोरेन का हनुमान कहा जाता है. उन्होंने यहां से 6 बार विधानसभा का चुनाव जीता है. 1991 से 2019 के बीच ये केवल एक बार साल 2000 में चुनाव हारे हैं.

जब हेमंत सोरेन पहली बार मुख्यमंत्री बने थे तब चंपई उनकी कैबिनेट में थे. पार्टी में चंपई सोरेन के कद का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कई बार सार्वजनिक मंच पर हेमंत सोरेन इनके पैर छूते दिखाई दिए हैं. चंपई सोरेन झारखंड आंदोलन के वक्त से ही हेमंत के पिता शिबू सोरेन से जुड़े हुए हैं. वे एक विश्वस्त नेता के साथ-साथ समर्पित कार्यकर्ता भी हैं.  2009 में जब सीएम रहते शिबू सोरेन तमाड़ विधानसभा सीट से चुनाव हार गए थे, तब भी चंपई का नाम सीएम पद के लिए उछला था, हालांकि तब ये संभव नहीं हो सका था. लेकिन करीब 15 साल बाद अब चंपई सोरेन मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठेंगे.

गिरफ्तारी से कुछ घंटे पहले ही चंपई को घोषित किया था उत्तराधिकारी

जमीन घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 31 जनवरी को गिरफ्तारी से कुछ घंटे पहले ही हेमंत ने चंपई सोरेन को अपना उत्तराधिकारी घोषत किया था. झारखंड में सत्तारूढ़ महागठबंधन (झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस, वाम दल, राजद) के विधायकों को संबोधित एक पत्र में हेमंत सोरेन ने चंपई सोरेन को झामुमो विधायक दल का सुप्रीमो घोषित किया. अब सवाल ये उठता है कि आखिर चंपई सोरेन को ही हेमंत ने अपना उत्ताराधिकारी क्यों चुना गया? अपने उत्तराधिकारी के रूप में चुनने से पहले हेमंत सोरेन ने आखिर किन कारणों से उनके नाम पर विचार किया?

दरअसल, चंपई सोरेन, हेमंत सोरेन के पिता शिबू सोरेन के साथ झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं. लेकिन सिर्फ ये एकमात्र कारण नहीं है, जिसके कारण हेमंत सोरेन के चंपई पर भरोसा जताया है. इसके अलावा भी कई अन्य कारण हैं, जैसे- चंपई सोरेन, हेमंत सोरेन के वफादार हैं और शिबू सोरेन के भी करीबी माने जाते हैं. ये तो पारिवारिक कारण हैं. इसके अलावा एक सबसे बड़ा कारण ये हैं कि चंपई सोरेन जिस कोल्हान क्षेत्र से चुनकर आते हैं, वो भाजपा का गढ़ माना जाता है. 

हालांकि, 2019 के झारखंड विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने कोल्हान में उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं किया था. कोल्हान क्षेत्र के 13 विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा का प्रदर्शन खराब रहा था. सबसे बड़ा झटका जमशेदपुर (पूर्व) सीट पर लगा था, जहां से सरयू राय ने भाजपा के तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुबर दास को भारी अंतर से हरा दिया था. सरयू राय को 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने टिकट नहीं दिया था, जिसके बाद उन्होंने जमशेदपुर पूर्वी सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ा और रघुबर दास को हरा दिया. 

इसलिए चंपई सोरेन को उत्तराधिकारी चुनना हेमंत का है मास्टरस्ट्रोक

दरअसल, 2019 के विधानसभा चुनाव में जब रघुबर दास और सरयू राय के बीच अनबन चल रही थी, तब नामांकन के आखिर दिन तक सरयू राय को रघुबर दास के कहने पर ही टिकट नहीं दिया गया. उस दौरान सरयू राय ने तत्कालीन भाजपा सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे. कहा जाता है कि इसी बात को लेकर रघुबर दास, सरयू राय से खफा थे. खैर, नामांकन के आखिरी दिन तक जब सरयू राय की उम्मीदवारी की घोषणा नहीं हुई और पार्टी की ओर से उन्हें टिकट नहीं दिया गया तो उन्होंने उसी सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया, जहां से रघुबर दास चुनावी मैदान में थे. जब सरयू राय ने निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा की, तब हेमंत सोरेन ने उनकी स्वतंत्र उम्मीदवारी का समर्थन करते हुए कहा था कि सरयू राय ने भ्रष्टाचार के खिलाफ बात की थी और बदले में भाजपा ने उन्हें टिकट नहीं दिया.

2019 विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार के बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेतृत्व में महागठबंधन की सरकार बनी, जिसके मुखिया हेमंत सोरेन चुने गए. हालांकि, हेमंत सोरेन को अपने कार्यकाल के दौरान ज्यादा लोकप्रियता नहीं मिली. अब कहा जा रहा है कि हेमंत सोरेन ने चंपई सोरेन को अपना उत्तराधिकारी चुनकर मास्टर स्ट्रोक खेला है. कहा जा रहा है कि झारखंड के नए मुख्यमंत्री के रूप में 'कोल्हान के टाइगर' कहे जाने वाले चंपई सोरेन इसी साल होने वाले आम चुनाव और झारखंड विधानसभा में भाजपा को नुकसान पहुंचा सकते हैं. 

कोल्हान क्षेत्र से चौथे मुख्यमंत्री होंगे चंपई सोरेन

चंपई सोरेन जब शपथ ले लेंगे, तब वो कोल्हान क्षेत्र से मुख्यमंत्री बनने वाले चौथे नेता होंगे. इससे पहले यहां से जो तीन मुख्यमंत्री बने हैं, उनमें से दो भारतीय जनता पार्टा के नेता रहे हैं.

भाजपा के नेता अर्जुन मुंडा तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री रहे हैं. पहली बार वे 18 मार्च 2003 को मुख्यमंत्री बने और एक मार्च 2005 तक इस पद पर बने रहे. दूसरी बार अर्जुन मुंडा ने 12 मार्च 2005 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और 14 सितंबर 2006 तक इस पद पर बने रहे. आखिरी बार उन्होंने 11 सितंबर 2010 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और 18 जनवरी 2013 तक इस पद पर रहे थे. फिलहाल, अर्जुन मुंडा झारखंड की खूंटी लोकसभा सीट से सांसद हैं और केंद्र में मंत्री हैं.

अर्जुन मुंडा के बाद दूसरे नेता जो कोल्हान क्षेत्र से आते हैं और मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, उनका नाम मधु कोड़ा है. मधु कोड़ा 18 सितंबर 2006 से 24 अगस्त 2008 तक झारखंड के मुख्यमंत्री रहे थे. कोड़ा कथित तौर पर एक खनन घोटाले में शामिल थे और उन पर मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान कोयला और खनन ब्लॉक आवंटित करने के लिए रिश्वत लेने का सीबीआई और ईडी द्वारा आरोप लगाया गया था.

भाजपा के रघुबर दास, कोल्हान क्षेत्र से मुख्यमंत्री बनने वाले तीसरे नेता थे. रघुबर दास ही एकमात्र ऐसे मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया है. रघुबर दास 28 दिसंबर 2014 से 23 दिसंबर 2019 तक झारखंड के मुख्यमंत्री रहे हैं. 

जाते... जाते... चंपई सोरेन के बारे में ये बातें जान लीजिए

  • चंपई सोरेन ने 1991 में पहली बार उपचुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर जीत दर्ज की थी. वो जीत इसलिए बड़ी थी क्यों कि चंपई ने कद्दावर सांसद कृष्णा मार्डी की पत्नी को हराया था. इसके बाद चंपई सोरेन ने 1995 में झारखंड मुक्ति मोर्चा के टिकट पर जीत हासिल की.
  • साल 2000 में बीजेपी के अनंतराम टुडू से चंपई चुनाव हार गए थे. लेकिन 2005 से लगातार चंपई सरायकेला से विधायक हैं. 2019 में उन्होंने बीजेपी के गणेश महाली को हराया था. 
  • सरायरकेला के जिलिंगगोड़ा में 1956 में सेमल सोरेन और माधव सोरेन घर चंपई सोरेन का जन्म हुआ था. अपने तीन भाइयों और एक बहन में ये सबसे बड़े हैं. चंपई मैट्रिक पास हैं. इनकी शादी मानको सोरेन से हुई है और इनके चार बेटे और तीन बेटियां हैं.