menu-icon
India Daily

International yoga day 2025: बर्फीली चोटियों से विदेशी धरती तक गूंजा योगासन मंत्र, भारतीय सेना ने जोश से मनाया अंतरराष्ट्रीय योग दिवस

दिल्ली स्थित करिअप्पा परेड ग्राउंड में 3,400 से अधिक लोगों ने भाग लिया. इसमें सैनिकों के साथ उनके परिवार, एनसीसी कैडेट्स, स्कूली बच्चे और 25 देशों के सैन्य अधिकारी शामिल हुए. कार्यक्रम की अगुवाई उप सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल एनएस राजा सुब्रमणि ने की.

auth-image
Edited By: Reepu Kumari
Indian Army
Courtesy: Pinterest

International yoga day 2025: 21 जून को 11वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर भारतीय सेना ने पूरे जोश और उत्साह के साथ योग का अभ्यास किया. देश के हर कोने से लेकर विदेशी जमीन तक, जवानों ने योग के माध्यम से अनुशासन, स्वास्थ्य और मानसिक संतुलन को बढ़ावा दिया. चाहे वो बर्फ से ढकी सियाचिन की चोटियां हों या समुद्र के किनारे पोर्ट ब्लेयर, हर जगह सैनिकों ने योग किया और इस प्राचीन भारतीय परंपरा को अपनाया.

यह आयोजन केवल भारत तक ही सीमित नहीं रहा. विदेशों में तैनात भारतीय सैनिकों ने भी साथी सैनिकों के साथ मिलकर योग किया. इससे न केवल भारत की सांस्कृतिक विरासत को दुनिया भर में सम्मान मिला, बल्कि यह भी दिखा कि सेना अपने हर मोर्चे पर योग को जीवनशैली का हिस्सा बना रही है.

सेना प्रमुख और रक्षा मंत्री भी हुए शामिल

जम्मू-कश्मीर के उधमपुर में योग कार्यक्रम में खुद थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेन्द्र द्विवेदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह शामिल हुए. उन्होंने योग को तनाव से लड़ने और सैनिकों की युद्ध क्षमता बढ़ाने का अहम जरिया बताया.

दिल्ली में भव्य आयोजन

दिल्ली स्थित करिअप्पा परेड ग्राउंड में 3,400 से अधिक लोगों ने भाग लिया. इसमें सैनिकों के साथ उनके परिवार, एनसीसी कैडेट्स, स्कूली बच्चे और 25 देशों के सैन्य अधिकारी शामिल हुए. कार्यक्रम की अगुवाई उप सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल एनएस राजा सुब्रमणि ने की.

विदेशी धरती पर भी दिखा योग का असर

मंगोलिया में चल रहे “खान क्वेस्ट” सैन्य अभ्यास और फ्रांस में “अभ्यास शक्ति” के दौरान भारतीय जवानों ने विदेशी सैनिकों के साथ मिलकर योग किया. इससे भारत की संस्कृति और स्वास्थ्य के प्रति प्रतिबद्धता को वैश्विक स्तर पर सराहा गया.

सेना का संकल्प: योग हर दिन, हर जगह

भारतीय सेना ने एक बार फिर साबित किया कि योग सिर्फ एक दिन का आयोजन नहीं, बल्कि रोजमर्रा की ज़िंदगी का हिस्सा है. 'योगः कर्मसु कौशलम्' को आत्मसात करते हुए, सैनिक देश की सुरक्षा के साथ-साथ आत्मिक और मानसिक मजबूती की दिशा में भी अग्रसर हैं.