India US Trade Deal: भारत और अमेरिका के बीच एक बहुप्रतीक्षित ट्रेड डील अपने अंतिम चरण में है. दोनों देश 9 जुलाई की समयसीमा से पहले इस समझौते को अंतिम रूप देने की कोशिश में जुटे हैं. लेकिन भारत ने साफ कर दिया है कि वह तभी इस समझौते पर हस्ताक्षर करेगा जब अमेरिका टैक्स यानी टैरिफ को लेकर एक मजबूत भरोसा देगा. सूत्रों की मानें तो भारत चाहता है कि अमेरिका इस बात की गारंटी दे कि समझौते के बाद ट्रंप प्रशासन कोई नया टैक्स नहीं लगाएगा.
भारत का फोकस यह सुनिश्चित करने पर है कि एक बार तय हुए टैक्स नियमों में भविष्य में मनमानी तरीके से बदलाव न हो. भारत चमड़ा और कपड़ा जैसे क्षेत्रों के लिए रियायत की भी मांग कर रहा है.
भारत ने बातचीत के दौरान सभी मुद्दों को साफ-साफ अमेरिका के सामने रखा है. एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, भारत इस डील में एक क्लॉज चाहता है जिससे यदि भविष्य में अमेरिका टैक्स बढ़ाता है या वादों से पीछे हटता है, तो भारत भी अपने लाभ वापस ले सके.
अमेरिका ने 2 अप्रैल को भारतीय सामानों पर 26% टैक्स लगाने की घोषणा की थी, जिसे अस्थायी तौर पर 90 दिनों के लिए रोका गया था. हालांकि, 10% का टैक्स अभी भी लागू है. ऐसे में भारत चाहता है कि अमेरिका यह तय करे कि भविष्य में भी कोई नया टैक्स नहीं लगाया जाएगा.
वाणिज्य विशेषज्ञों का मानना है कि इस डील को समयबद्ध और पारदर्शी होना चाहिए. क्लॉबैक प्रावधान डील की सुरक्षा के लिए बेहद जरूरी है, ताकि किसी भी देश की तरफ से हुई अनियमितताओं को संतुलित किया जा सके.
अगर अमेरिका अन्य देशों को रियायत देता है, तो भारत भी उसी तर्ज पर रियायत मांगेगा. सरकार स्टील, एल्यूमिनियम और ऑटो सेक्टर पर अमेरिकी टैक्स के असर को भी बारीकी से देख रही है.