विपक्ष द्वारा 2024 के लोकसभा चुनाव में मतदाता धोखाधड़ी के आरोपों के बीच, भारत के चुनाव आयोग ने शनिवार (16 अगस्त) को कहा कि वोटिंग लिस्ट के साथ किसी भी मुद्दे को उठाने का उपयुक्त समय चुनाव से पहले “दावों और आपत्तियों” की अवधि के दौरान था.चुनाव आयोग ने शनिवार को एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, "हाल ही में, कुछ राजनीतिक दल और व्यक्ति पूर्व में तैयार की गई मतदाता सूचियों सहित मतदाता सूचियों में त्रुटियों के बारे में मुद्दे उठा रहे हैं."
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, चुनाव आयोग ने आगे कहा, "वोटिंग लिस्ट से जुड़े किसी भी मुद्दे को उठाने का सही समय उस चरण की दावा और आपत्ति अवधि थी, जो सभी राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के साथ मतदाता सूची साझा करने का मुख्य उद्देश्य है. यदि सही समय पर सही माध्यमों से ये मुद्दे उठाए गए होते, तो संबंधित एसडीएम/ईआरओ को चुनाव से पहले वास्तविक त्रुटियों को सुधारने का अवसर मिलता है..
मतदाता सूची की पारदर्शिता
भारत के चुनाव आयोग ने बताया कि प्रारंभिक मतदाता सूची प्रकाशन के बाद, इसकी डिजिटल और भौतिक प्रतियां सभी राजनीतिक दलों के साथ साझा की जाती हैं और आयोग की वेबसाइट पर पब्लिश की जाती हैं. आयोग ने कहा, शुरुआती वोटिंग लिस्ट प्रकाशन के बाद, मतदाताओं और राजनीतिक दलों के लिए अंतिम सूची प्रकाशन से पहले एक महीने की अवधि दावा और आपत्ति दर्ज करने के लिए उपलब्ध होती है.
इसके अलावा, "अंतिम मतदाता सूची प्रकाशन के बाद भी, डिजिटल और भौतिक प्रतियां मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के साथ साझा की जाती हैं और ईसीआई वेबसाइट पर प्रकाशित की जाती हैं.
पारदर्शिता पर जोर
चुनाव आयोग ने जोर देकर कहा कि मतदाता सूची तैयार करने में पूर्ण पारदर्शिता कानून, नियमों और दिशानिर्देशों के अनुसार बरती जाती है. कुछ राजनीतिक दलों और उनके बूथ स्तर के एजेंटों (बीएलए) ने समय पर मतदाता सूची की समीक्षा नहीं की और त्रुटियों को उजागर करने में विफल रहे. आयोग ने कहा, "ईसीआई राजनीतिक दलों और किसी भी मतदाता द्वारा मतदाता सूची की जांच का स्वागत करता है. इससे एसडीएम/ईआरओ को त्रुटियां हटाने और मतदाता सूची को शुद्ध करने में मदद मिलेगी, जो हमेशा से ईसीआई का उद्देश्य रहा है.
विपक्ष ने EC पर लगाए ये आरोप!
विपक्ष, खासतौर से कांग्रेस नेता राहुल गांधी, ने बार-बार चुनाव आयोग पर मतदाता डेटा में हेरफेर और महाराष्ट्र, कर्नाटक और हरियाणा में "वोट चोरी" के आरोप लगाए हैं. 7 अगस्त को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी ने दावा किया कि कर्नाटक की महादेवपुरा विधानसभा में केवल एक निर्वाचन क्षेत्र में 100,250 वोट डुप्लिकेट प्रविष्टियों, फर्जी पतों और एक ही जगह पर सामूहिक पंजीकरण के जरिए "चुराए गए".
उन्होंने कहा, "यह निर्वाचन आयोग का डेटा है. दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने इस जानकारी से इनकार नहीं किया.उन्होंने यह नहीं कहा कि राहुल गांधी जिस वोटिंग लिस्ट की बात कर रहे हैं, वह गलत है. आप इसे गलत क्यों नहीं कहते? क्योंकि आप सच जानते हैं. आप जानते हैं कि हम जानते हैं कि आपने यह पूरे देश में किया है.
जानें चुनाव आयोग की क्या हैं मांग?
चुनाव आयोग ने राहुल गांधी से उन लोगों के नाम और हस्ताक्षरित घोषणा पत्र जमा करने को कहा है, जिन्हें वे दावा करते हैं कि मतदाता सूची में गलत तरीके से जोड़ा या हटाया गया है.