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कैसे लिखी गई विपक्षी एकता की स्क्रिप्ट, जानें 26 दलों के साथ आने की पूरी कहानी

Opposition Party Meeting: बेंगलुरु में आज विपक्षी दलों की दूसरी बैठक संपन्न हुई. इस बैठक में 26 दलों ने हिस्सा लिया. इसी के साथ इस बैठक ने महागठबंधन की शक्ल ली जिसका नाम INDIA रखा गया.

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Sagar Bhardwaj
कैसे लिखी गई विपक्षी एकता की स्क्रिप्ट, जानें 26 दलों के साथ आने की पूरी कहानी

नई दिल्ली: बेंगलुरु में आज विपक्षी दलों की दूसरी बैठक संपन्न हुई. इस बैठक में  26 दलों ने हिस्सा लिया. इसी के साथ इस बैठक ने महागठबंधन की शक्ल ली जिसका नाम  INDIA यानी भारतीय राष्ट्रीय विकास समन्वय गठबंधन  रखा गया.

बैठक के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में  महागठबंधन के एक्शन प्लान की जानकारी देते हुए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि हम 11 सदस्यों की एक कमिटी गठित करेंगे, जो समन्वय का काम देखेगी. उन्होंने कहा कि इस कमिटी में एक चेयरमैन, एक संयोजक और 9 सदस्य शामिल होंगे.

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि समन्वय समिति ही बीजेपी के खिलाफ आंदोलन की रणनीति तैयार करेगी. उन्होंने कहा कि टिकट बंटवारे में भी यह कमिटी महत्वपूर्ण रोल निभाएगी और सारे विवाद सुलझाने की जिम्मेदारी भी इसी कमिटी पर होगी.

अब आपको बताते हैं कि विपक्षी मोर्चे की इबारत आखिर कैसे लिखी गई?

दरअसल इसकी शुरुआत करने का श्रेय नीतीश कुमार को जाता है. नीतीश कुमार 31 अगस्त को पहली बार गठबंधन के मुद्दे पर किसी बाहरी नेता से मिले थे. इसके बाद नीतीश ने इस अभियान की शुरूआत की. यह पूरी स्क्रिप्ट लगभग 2 चरणों में तैयार हुई, जिसमें कुछ नेताओं ने पर्दे के पीछे और कुछ ने सामने आकर भूमिका निभाई.

फेज-1:  जुलाई 2022 में राष्ट्रपति चुनाव के तुरंत बाद बिहार सीएम नीतीश कुमार ने बीजेपी से गठबंधन तोड़ने का ऐलान कर दिया और सीएम पद से इस्तीफा देकर वे सीधे लालू यादव के पास पहुंचे, जहां आरजेडी, कांग्रेस और माले के विधायक पहले से मौजूद थे.

इसी बैठक में नीतीश कुमार ने पूरे देश में एक महागठबंधन बनाकर बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोलने की बात कही. इसके बाद नीतीश कुमार ने महागठबंधन की सरकार बनाई और फिर लालू यादव के साथ मिलकर विपक्षी एकता की स्क्रिप्ट तैयार की.

इसके तुरंत बाद नीतीश कुमार को ओम प्रकाश चौटाला और सीताराम  येचुरी और चंद्रशेखर राव का फोन आया. 31 अगस्त को तेलंगाना सीएम राव ने पटना आकर नीतीश कुमार से मुलाकात की. राव ने पहले ही बीजेपी के खिलाफ विपक्षी एकता की मुहिम छेड़ रखी थी.  नीतीश की मुहिम को राव ने तुरंत समर्थन दे दिया.

इसके बाद नीतीश 5 सितंबर को दिल्ली पहुंचे और वहां उन्होंने अरविंद केजरीवाल, सीताराम येचुरी, एचडी कुमारस्वामी और शरद पवार जैसे बड़े नेताओं से मुलाकात की.

शुरुआत में नीतीश कुमार 15 दलों के साथ मिलकर 500 सीटों पर  बीजेपी से सीधा मुकाबला करने की  प्लानिंग कर रहे थे क्योंकि अब तक कांग्रेस ने उन्हें कोई रिस्पॉन्स नहीं दिया था. इसकी प्रमुख वजह ये थी नीतीश कुमार 2015 में भी इस तरह का प्रयोग कर चुके थे.

हालांकि इसके बाद सोनिया गांधी ने लालू और नीतीश से मुलाकात की लेकिन कोई सकारात्मक रिजल्ट नहीं निकला.

सलमान खुर्शीद ने कांग्रेस तक पहुंचा मैसेज
फरवरी में नीतीश कुमार ने माले से मीटिंग की और मंच से ही कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद से इस पर पहल करने की बात कही.

सलमान खुर्शीद ने नीतीश कुमार के मैसेज को कांग्रेस हाईकमान तक पहुंचाया. खुर्शीद ने यह भी कहा कि वो चाहते हैं कि विपक्षी मोर्चा बने लेकिन पेंच इस पर फंसा है कि पहले आई लव यू कौन बोले? हालांकि, इसके कुछ दिन बाद कांग्रेस अध्यक्ष बने मल्लिकार्जुन खड़गे ने नीतीश कुमार को मुलाकात का निमंत्रण भेजा.

फेज-2: कांग्रेस ने काटा 3 दलों का पत्ता

.जेडीयू के सूत्रों की मानें तो मल्लिकार्जुन खड़गे ने राहुल गांधी के सामने पूरे प्लान का खाका रखा, लेकिन उन्होंने साफ तौर पर कह दिया कि कांग्रेस तेलंगाना, हरियाणा और  कर्नाटक में अकेले दम पर चुनाव लड़ेगी.

.कांग्रेस के इस शर्त पर साथ आने के बाद नीतीश कुमार ने के चंद्रशेखर राव, ओम प्रकाश चौटाला और एचडी कुमारस्वामी  से दूरी बना ली. हालांकि बाकि राज्यों में कांग्रेस ने गठबंधन करने की बात पर मोहर लगा दी.

.कांग्रेस से हरी झंडी मिलने के बाद नीतीश कुमार अपने अभियान पर निकल पड़े.

कैसे साथ आए 26 दल
. सबसे पहले गठबंधन वाले राज्यों में समान विचारधारा वाले दलों को साथ लाया गया. इसके बाद सीपीएम, सपा, तृणमूल कांग्रेस और पीडीपी जैसे दलों से बात की गई जो पहले कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बना चुके थे.

. सभी नेताओं से मिलने के बाद नीतीश कुमार मई में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मिले. मुलाकात में विपक्षी एकता के शक्ति प्रदर्शन की बात हुई. इसके बाद नीतीश कुमार पटना वापस आ गए. जून में नीतीश और लालू यादव की ओर से 18 दलों को न्योता भेजा गया.

ममता बनर्जी और अखिलेश यादव ने मीटिंग के पटना में किए जाने का सुझाव दिया था. उन्होंने कहा था कि जो मीटिंग दिल्ली में होती है वह अपने अंजाम तक नहीं पहुंच पाती. पटना जेपी आंदोलन की भूमि है और वहां से लोकतंत्र को बचाने का संदेश दिया जाएगा.

. पटना के बाद अगली बैठक शिमला में करने का प्रस्ताव रखा गया था, लेकिन मौसम की खराबी की वजह से इसे बेंगलुरु ट्रांसफर कर दिया गया.

कौन हो सकता है विपक्ष का पीएम चेहरा
बेंगलुरु में हुई बैठक में पीएम चेहरे को लेकर भी चर्चा हुई. खबरों के मुताबिक नीतीश कुमार ने चुनाव के  बाद पीएम का नाम तय करने की बात कही है. वहीं कांग्रेस ने पीएम पद से अपना दावा वापस ले लिया है.

यह भी पढ़ें: क्या बेंगलुरु बैठक के बाद सुप्रीमो बॉस की भूमिका में आएगी कांग्रेस पार्टी, नीतीश कुमार को क्या मिला पॉलिटिकल मैसेज ?


 

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