नई दिल्ली: अगले साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए विपक्षी दलों ने महागठबंधन बनाकर मोदी सरकार को मात देने की तैयारी शुरू कर दी है. एक ओर जहां कांग्रेस और नीतीश कुमार की अगुआई में 26 दल एकजुट हो चुके हैं तो वहीं दूसरी तरफ NDA ने अपने कुनबे को मजबूत कर लिया है. बेंगलुर मे विपक्ष दलों की बैठक मे विपक्ष के नेताओं ने गठबंधन का नाम इंडिया रखा है. यानी 2024 का आम चुनाव अब NDA बनाम INDIA होगा. विपक्ष की ओर से इंडिया का मतलब Indian National Democratic Inclusive Alliance बताया गया है. विपक्ष की इस बैठक में विपक्ष की तमाम पार्टियां एक मंच पर आकर बीजेपी के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़ने की हुंकार भर रही है. तो वहीं तमाम राजनीतिक विश्लेषक इस बैठक के कई सियासी मायने और मतलब निकाल रहे है.
क्या कहता है बेंगलुर बैठक का कांग्रेस फैक्टर
सियासी फिजाओं मे तैर रही चर्चाओं की मानें तो पटना की विपक्षी पार्टियों के बाद कांग्रेस ने एक तरह से महागठबंधन की राजनीति को हैक कर लिया. पहले जो यह बैठक शिमला मे होनी थी लेकिन कांग्रेस पार्टी के रणनीतिकारों ने उसे बेंगलुरु मे आयोजित कराया. दरअसल ये चर्चाए इसलिए भी हो रही है क्योंकि कांग्रेस पार्टी की तरफ से यह बयान भी आया कि बिहार की बैठक एक औपचारिक बैठक थी. बेंगलुरु मे हुई विपक्षी दलों की बैठक कागजी तौर पर दुरुस्त और गठबंधन की नई दिशा के मद्देनजर हुई है.
बेंगलुर बैठक से नीतीश कुमार क्या मिला पॉलिटिकल मैसेज
इस बैठक के बाद कांग्रेस पार्टी का यह मानना है कि मुंबई में होने वाली विपक्षी एकता की अगली बैठक काफी महत्वपूर्ण होने वाली है. जो इल गठबंधन की आगे की जो नीति, एजेंडे और मुद्दे को तय करेगी. इस बैठक के बाद एक और तस्वीर सामने उभर कर सामना आया. महागठबंधन की बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में नीतीश कुमार को शामिल नहीं किया गया. ये सियासी घटनाक्रम ऐसे समय मे देखने को मिला है जब नीतीश कुमार को विपक्षी एकता का संयोजक बनाने की बात जोरों पर थी. बेंगलुरु में हुई महागठबंधन की बैठक के बाद यह तो बात सीसे की तरह बिल्कुल साफ हो गई है कि कांग्रेस पार्टी ने आज की बैठक मे अपनी बड़ी आमद दर्ज करायी है.
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