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India Daily

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान चीन ने कैसे की पाकिस्तान की मदद, इस रक्षा समूह ने किया चौकाने वाला खुलासा

नई दिल्ली स्थित सेंटर फॉर जॉइंट वॉरफेयर स्टडीज के महानिदेशक अशोक कुमार ने एक इंटरव्यू में बताया कि चीन ने पाकिस्तान की रडार और एयर डिफेंस सिस्टम्स को पुनर्गठित करने में मदद की, ताकि भारत की सैन्य तैनाती और हथियारों का पता लगाना आसान हो.

Sagar
Edited By: Sagar Bhardwaj
 how China helped Pakistan during Operation Sindoor defense group made a shocking revelation

भारत के रक्षा मंत्रालय के तहत एक शोध समूह ने खुलासा किया है कि मई 2025 में भारत-पाक संघर्ष के दौरान चीन ने पाकिस्तान को एयर डिफेंस और सैटेलाइट मदद दी थी. नई दिल्ली स्थित सेंटर फॉर जॉइंट वॉरफेयर स्टडीज के महानिदेशक अशोक कुमार ने एक साक्षात्कार में बताया कि चीन ने पाकिस्तान की रडार और एयर डिफेंस सिस्टम्स को पुनर्गठित करने में मदद की, ताकि भारत की सैन्य तैनाती और हथियारों का पता लगाना आसान हो. उन्होंने कहा, "इससे उनकी हवाई रक्षा रडार को रिकन्फिगर करने में मदद मिली, ताकि हमारी हवाई गतिविधियों के बारे में उसे पता चल सके."

सैटेलाइट और डिफेंस मदद

कुमार के अनुसार, 22 अप्रैल को 26 लोगों की मौत के आतंकी हमले और दोनों देशों के बीच 15 दिन बाद शुरू हुए संघर्ष के दौरान चीन ने पाकिस्तान को भारत पर उपग्रह निगरानी को समायोजित करने में सहायता दी. यह आकलन दर्शाता है कि चीन की भूमिका पहले के अनुमानों से कहीं अधिक थी, जिसमें खुफिया और लॉजिस्टिक समर्थन शामिल था. भारत सरकार ने अभी तक चीन की भागीदारी पर सार्वजनिक रूप से कोई टिप्पणी नहीं की है.

टू फ्रंट स्ट्रेटेजी
कुमार ने कहा कि भारत अब अपनी सैन्य रणनीतियों में "दो-मोर्चा स्थिति" को ध्यान में रखता है. "चीन के साथ जो कुछ भी आज है, वह कल पाकिस्तान के साथ हो सकता है," उन्होंने कहा. उन्होंने यह भी दावा किया कि चीनी रक्षा प्रणालियों का प्रदर्शन औसत से कम था और कुछ मामलों में "बुरी तरह विफल" रहा. भारत की एकीकृत सेंसर नेटवर्क ने पाकिस्तान के सैकड़ों ड्रोनों का प्रभावी ढंग से जवाब दिया.

आधी सदी का सबसे गंभीर संघर्ष
यह आधी सदी में दोनों परमाणु-संपन्न पड़ोसियों के बीच सबसे गंभीर संघर्ष था, जिसमें हवाई, ड्रोन, मिसाइल हमले और सीमा पर गोलीबारी हुई. 22 अप्रैल के हमले को भारत ने पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद करार दिया, जिसे इस्लामाबाद ने खारिज किया. 10 मई को युद्धविराम हुआ, जिसे भारत ने द्विपक्षीय रूप से बातचीत के जरिए हासिल करने का दावा किया. चीनी हथियारों, जैसे जे-10सी लड़ाकू विमान और पीएल-15 मिसाइल, का पहली बार युद्ध में उपयोग क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्वियों, विशेष रूप से ताइवान, के लिए चिंता का विषय बन गया है.