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India Daily

'1000 डिग्री तापमान और सब कुछ जल कर खाक...', अहमदाबाद विमान हादसे में इतनी भीषण आग के बावजूद कैसे पहचाने जा रहे हैं शव?

अहमदाबाद विमान हादसे की भयावहता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि विस्फोट के बाद वहां का तापमान करीब 1000 डिग्री सेल्सियस था. इतने अधिक तापमान में सब कुछ जलकर राख हो गया. तो ऐसे में एक्सपर्ट्स कैसे पता लगाते हैं कि मरे हुए लोगों के अवशेषों की पहचान कैसे होती है?

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Edited By: Garima Singh
 Ahmedabad plane crash
Courtesy: x

Air India crash Ahmedabad: अहमदाबाद विमान हादसे की भयावहता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि विस्फोट के बाद वहां का तापमान करीब 1000 डिग्री सेल्सियस था. इतने अधिक तापमान में सब कुछ जलकर राख हो गया. तो ऐसे में एक्सपर्ट्स कैसे पता लगाते हैं कि मरे हुए लोगों के अवशेषों की पहचान कैसे होती है? अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के फोरेंसिक मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ. सुधीर गुप्ता ने बताया कि अहमदाबाद में गुरुवार को हुए एयर इंडिया विमान हादसे में मारे गए लोगों के अवशेषों की पहचान के लिए डीएनए परीक्षण की आवश्यकता हर मामले में नहीं होगी.

डॉ. गुप्ता ने पहले भी कई सामूहिक दुर्घटनाओं में अपनी विशेषज्ञता का प्रदर्शन किया है. इनमें 1996 में चरखी दादरी में हुए विमान टकराव, जिसमें 349 लोग मारे गए थे, और 1997 की उपहार सिनेमा अग्निकांड शामिल हैं. उन्होंने बताया, "ऐसे मामलों में, आम तौर पर यात्रियों और उनकी सीट संख्या के विवरण के साथ एक फ़ोटोग्राफ़िक चार्ट तैयार किया जाता है. यह सब अच्छी तरह से प्रलेखित है. हालांकि लोगों ने सीटें बदली होंगी और कई लोग सीट से हट गए होंगे, फिर भी सिर्फ़ अस्थि अभिलेखों का उपयोग करके व्यक्ति की पहचान करना संभव है."

हड्डियां और दांत: पहचान का आधार  

डॉ. गुप्ता ने बताया कि जलने के बाद भी हड्डियां अक्सर बरकरार रहती हैं. कलाई, हाथ या प्यूबिक बोन के एक्स-रे से उम्र, लिंग और ऊंचाई का अनुमान लगाया जा सकता है. उन्होंने कहा, "ऐसी घटनाओं में लगभग 30% शव पूरी तरह से जल सकते हैं, लेकिन दांत मजबूत होते हैं और हवाई दुर्घटना में बचने की संभावना होती है. किसी व्यक्ति की पहचान दांतों में फिलिंग, कैपिंग या इम्प्लांट के आधार पर की जा सकती है."

डीएनए से तेज़ पहचान की प्रक्रिया  

डॉ. गुप्ता ने बताया कि शारीरिक विशेषताओं के आधार पर पहचान डीएनए परीक्षण से कहीं अधिक तेजी से हो सकती है. "हम नहीं चाहते कि जो परिवार पहले से ही शोक में हैं, उन्हें ज़रूरत से ज़्यादा इंतज़ार करना पड़े. डीएनए का उपयोग केवल उन मामलों में किया जाता है जहां संदेह होता है, जैसे कि इमारत में आग लगने की स्थिति में जहां यह स्पष्ट नहीं होता कि कौन मौजूद था फिर भी, गरिमा के लिए, अधिकारी कुछ मामलों में डीएनए मिलान का विकल्प चुन सकते हैं, खासकर जब शव गंभीर रूप से विकृत हों.

अहमदाबाद में पहचान प्रक्रिया  

अहमदाबाद में डीएनए प्रोफाइलिंग उन शवों की पहचान के लिए की जा रही है जो गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हैं. कम से कम आठ पीड़ितों को उनके रिश्तेदारों ने देखकर पहचान लिया, और उनके अवशेष सौंप दिए गए। 12 जून को एयर इंडिया की उड़ान AI 171 ड्रीमलाइनर में सवार 241 यात्रियों में से 19 की पहचान डीएनए नमूनों के मिलान से पुष्ट हो चुकी है. गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी ने एक्स पर जानकारी दी, "शनिवार रात 9 बजे तक 19 डीएनए नमूनों का मिलान हो चुका है, जिससे पीड़ितों की पहचान की पुष्टि हो गई है. राज्य फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (एफएसएल) और राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय (एनएफएसयू) की टीमें रातभर काम कर रही हैं."

हादसे का विवरण  

लंदन जाने वाला एयर इंडिया का विमान अहमदाबाद हवाई अड्डे से उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद एक मेडिकल कॉलेज के छात्रावास परिसर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया. इस हादसे में 242 यात्रियों में से 241 की मौत हो गई, जबकि एक यात्री जीवित बच गया. दुर्घटनास्थल से लगभग 270 शव अस्पताल लाए गए.