menu-icon
India Daily

जातिगत जनगणना को लेकर गृह मंत्रालय ने जारी किया नोटिफिकेशन, डेटा जुटाने का क्या होगा प्रोसेस?

भारत में जनगणना का चक्र हर दस साल में चलता है और आखिरी जनगणना 2011 में हुई थी. 2021 में होने वाली 16वीं जनगणना कोविड-19 महामारी के कारण स्थगित कर दी गई थी.

auth-image
Edited By: Gyanendra Sharma
caste census
Courtesy: Social Media

देश में लंबे समय से रुकी हुई जनगणना की प्रक्रिया अब शुरू होने जा रही है. गृह मंत्रालय ने सोमवार, 16 जून 2025 को जनगणना अधिनियम, 1948 के तहत जनगणना और जातिगत जनगणना से संबंधित आधिकारिक गजट नोटिफिकेशन जारी कर दिया है. इस नोटिफिकेशन के साथ ही जनगणना से जुड़ी विभिन्न एजेंसियां सक्रिय हो जाएंगी, और स्टाफ नियुक्ति, प्रशिक्षण, फॉर्मेट तैयार करने और फील्ड वर्क की योजना जैसे काम शुरू होंगे. खास बात यह है कि भारत में पहली बार जनगणना के साथ-साथ जातिगत जनगणना भी कराई जाएगी जो देश की सामाजिक-आर्थिक नीतियों को नया आकार दे सकती है.

भारत में हर दस साल में होने वाली जनगणना दुनिया के सबसे बड़े प्रशासनिक अभ्यासों में से एक है. यह न केवल देश की कुल आबादी का आंकड़ा देती है, बल्कि सामाजिक-आर्थिक स्थिति, शिक्षा, रोजगार, आवास, धर्म, भाषा और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी भी जुटाती है. यह प्रक्रिया गृह मंत्रालय के अधीन कार्यरत रजिस्ट्रार जनरल और सेंसस कमिश्नर के कार्यालय द्वारा संचालित होती है. जनगणना दो चरणों में होती है: पहला चरण हाउस लिस्टिंग और हाउसिंग शेड्यूल का होता है जबकि दूसरा चरण जनसंख्या गणना का जिसमें व्यक्तिगत जानकारी जैसे आयु, वैवाहिक स्थिति, धर्म, अनुसूचित जाति/जनजाति, शिक्षा स्तर और रोजगार आदि दर्ज किए जाते हैं. 

कोरोना के कारण टली थी जनगणना

भारत में जनगणना का चक्र हर दस साल में चलता है और आखिरी जनगणना 2011 में हुई थी. 2021 में होने वाली 16वीं जनगणना कोविड-19 महामारी के कारण स्थगित कर दी गई थी. इस देरी के चलते नीति-निर्माताओं को पुराने आंकड़ों पर निर्भर रहना पड़ा जिससे स्थानीय स्तर पर योजना बनाने में दिक्कतें आईं. अब  गृह मंत्रालय ने घोषणा की है कि जनगणना 1 मार्च 2027 से शुरू होगी, जबकि जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे बर्फीले क्षेत्रों में यह 1 अक्टूबर 2026 से शुरू होगी. इसके साथ ही जनगणना का चक्र भी बदल गया है, और अगली जनगणना अब 2035 में होगी.

 एक ऐतिहासिक कदम

इस बार की जनगणना में सबसे अहम बदलाव जातिगत आंकड़ों का संग्रह है जो स्वतंत्र भारत में पहली बार 1931 के बाद किया जाएगा. 30 अप्रैल 2025 को कैबिनेट कमेटी ऑन पॉलिटिकल अफेयर्स ने इसकी मंजूरी दी थी, जिसे केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने "सामाजिक न्याय के लिए ऐतिहासिक कदम" बताया. जातिगत जनगणना का उद्देश्य सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े समुदायों खासकर अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) की स्थिति को समझना और उनके लिए लक्षित नीतियां बनाना है. 

हालांकि, 2011 में सामाजिक-आर्थिक और जातिगत जनगणना (SECC) में जाति से संबंधित डेटा एकत्र किया गया था, लेकिन इसे सार्वजनिक नहीं किया गया क्योंकि स्व-घोषणा के आधार पर लाखों जाति/उपजाति श्रेणियां बन गई थीं. इस बार सरकार राज्यों द्वारा दी गई OBC सूची के आधार पर डेटा एकत्र करने पर विचार कर रही है ताकि आंकड़े अधिक व्यवस्थित हों. 

डिजिटल जनगणना और नई तकनीक

2025 की जनगणना भारत की पहली डिजिटल जनगणना होगी. इसमें 33 लाख गणनाकर्ताओं को शामिल किया जाएगा, जो अपने स्मार्टफोन का उपयोग कर डेटा एकत्र करेंगे. इसके अलावा एक ऑनलाइन पोर्टल भी शुरू होगा जहां लोग अपने मोबाइल नंबर के जरिए स्वयं अपनी जानकारी दर्ज कर सकेंगे. यह डिजिटल पहल भारत को वियतनाम और इस्वातिनी जैसे देशों की श्रेणी में लाएगी जो पेपरलेस जनगणना की दिशा में काम कर रहे हैं. यह प्रक्रिया न केवल तेज होगी, बल्कि डेटा की सटीकता और पारदर्शिता को भी बढ़ाएगी.