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क्या रेडियो कॉलर की वजह से हो रहीं कूनो पार्क में चीतों की मौत, लगातार उठते सवालों का प्रोजेक्ट चीता चीफ ने दिया जवाब

कूनो नेशनल पार्क में लगातार हो रही चीतों की मौत सरकार के लिए चिंता का सबब बनी हुई है. मार्च से अब तक कूनो में 9 चीतों की मौत हो चुकी है.

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Sagar Bhardwaj
क्या रेडियो कॉलर की वजह से हो रहीं कूनो पार्क में चीतों की मौत, लगातार उठते सवालों का प्रोजेक्ट चीता चीफ ने दिया जवाब

 Kuno National Park: कूनो नेशनल पार्क में लगातार हो रही चीतों की मौत सरकार के लिए चिंता का सबब बनी हुई है. मार्च से अब तक कूनो में 9 चीतों की मौत हो चुकी है.

इन मौतों के पीछे चीतों की गर्दन पर लगाए गए  रेडियो कॉलर को प्रमुख वजह माना जा रहा था लेकिन प्रोजेक्ट चीता के प्रमुख एसपी यादव वे इन आरोपों से इंकार किया है. उन्होंने कहा कि रेडियो कॉलर की वजह से कूनो में एक भी चीते की मौत नहीं हुई है.

एसपी यादव बाघ संरक्षण प्राधिकरण  (NTCA) के सदस्य भी हैं.

एक मीडिया चैनल से बात करते हुए यादव ने कहा कि रेडियो कॉलर के माध्यम से ही दुनिया भर में मांसाहारी जानवरों की निगरानी की जाती है, यह एक सिद्ध तकनीक है. इस बात में कोई सच्चाई नहीं है कि रेडियो कॉलर की वजह से चीतों की मौत हुई है. इसके बिना जंगल में चीतों की निगरानी नहीं की जा सकती.

विदेश से लाए गए 14 चीते पूरी तरह स्वस्थ


एसपी यादव ने कहा कि नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से कुल 20 चीते भारत लाए गए थे जिनमें से 14 चीते पूरी तरह से स्वस्थ हैं. उन्होंने कहा कि  पार्क में चार चीतों का जन्म भी हुआ जिनमें से तीन की मौत हो गई जबकि एक 6 माह का हो गया है. उन्होंने जलवायु संबंधी कारकों को इन शावकों की मौत का कारण बताया.

चीतों के जीवित रहने की दर 50% से अधिक

एसपी यादव ने कहा कि 75 साल बाद देश में दोबारा चीतों को लाया गया है और यहां चीतों के जीवित रहने की दर 50 प्रतिशत से अधिक है.

17 सितंबर को कूनो में छोड़े गए थे 8 चीते


प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले साल 17 सितंबर को नामीबिया से लाए गए 8 चीतों को कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा था. वहीं, दक्षिण अफ्रीका से लाए गए 12 चीतों को इसी साल कूनों नेशनल पार्क में स्थानांतरित किया गया था. 

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