Rajasthan High Court: राजस्थान हाई कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए टिप्पणी दी है कि दो वयस्कों का विवाह के बाहर सहमति से यौन संबंध बनाना अपराध नहीं है. यह फैसला तब आया जब अदालत एक व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसने तीन लोगों पर अपनी पत्नी के अपहरण का आरोप लगाया था. हालांकि, महिला ने खुद को अदालत के सामने पेश किया और किसी भी अपहरण से इनकार किया और कहा कि वह एक आरोपी के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में थी.
फैसले के दौरान न्यायमूर्ति बीरेंद्र कुमार ने कहा कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 497 के तहत व्यभिचार का अपराध अपवाद था, लेकिन 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने इसे पहले ही असंवैधानिक करार दे दिया था. आरोपी शख्स की ओर से पेश वकील अंकित खंडेलवाल ने कहा कि आवेदक की पत्नी ने विवाहेतर संबंध स्वीकार कर लिया है.
अदालत ने कहा कि अगर दो वयस्क शादी के बाहर यौन संबंध बनाते हैं तो यह कोई वैधानिक अपराध नहीं बनता है. उच्च न्यायालय ने कहा कि जब तक विवाह की वकालत नहीं की जाती और साबित नहीं किया जाता, केवल लिव-इन-रिलेशनशिप जैसे विवाह जैसे रिश्ते आईपीसी की धारा 494 के दायरे में नहीं आएंगे. अदालत ने याचिका खारिज कर दिया.
दरअसल, राजस्थान में एक व्यक्ति ने अपने पत्नी के अपहरण की शिकायत दर्ज करवाई थी. जिसके तहत युवक को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया गया. सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट के सामने सच आया. जिससे पता चला कि, शिकायतकर्ता की पत्नी यानी जिसका अपहरण करने का आरोप युवक पर लगाया था उसी युवक के साथ शिकायतकर्ता की पत्नी लिव-इन रिलेशनशिप में है और उस दौरान भी युवती अपने मर्जी से युवक के साथ रह रही थी.