Katchatheevu: श्रीलंका के एक वरिष्ठ मंत्री ने सोमवार को द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि भारत ने कच्चातिवू द्वीप मुद्दे पर अभी तक कोई आधिकारिक मैसेज नहीं भेजा है. उधर भाजपा इस मुद्दे पर कांग्रेस पर हर दिन हमला बोल रहा है. अन्नामलाई ने दावा किया कि मोदी सरकार इसे पाने की हर संभव कोशिश रहा है.
राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे के मंत्रिमंडल में तमिल मूल के मंत्री जीवन थोंडामन ने कहा कि कच्चातिवू द्वीप श्रीलंकाई नियंत्रण रेखा के भीतर आता है. भारत सरकार के साथ हमारे रिश्ते अच्छे हैं और अभी तक भारत की तरफ इस द्वीप को लेकर कोई सूचना नहीं दी गई है. भारत की ओर से अभी तक ऐसा कोई अनुरोध नहीं आया है. यदि ऐसा कोई संचार है, तो विदेश मंत्रालय उसका जवाब देगा.
उन्होंने कहा, अगर कच्चातिवू तमिल समुदाय के बारे में हैतो वे सीमाओं के दोनों ओर मौजूद हैं. यदि यह तमिल मछुआरों के मुद्दे के बारे में है, तो दोनों को जोड़ना अनुचित और गलत है क्योंकि भारतीय मछुआरों के संबंध में मुद्दा उन ट्रॉलरों के बारे में है जिनका उपयोग वे भारतीय जल क्षेत्र के बाहर मछली पकड़ने के लिए करते हैं जो अंतरराष्ट्रीय समुद्री कानूनों के अनुसार अवैध है.
मंत्री ने कहा कि जब पूरे समुद्री क्षेत्र में समुद्री संसाधनों का इतना बड़ा दोहन और कमी हो रही है तो भारतीय तमिल मछुआरों के स्वामित्व वाले इन ट्रॉलरों के शिकार मुस्लिम या सिंहली मछुआरे नहीं बल्कि श्रीलंकाई तमिल मछुआरे हैं.
भारत और श्रीलंका के बीच आखिरी उच्च स्तरीय चर्चा 28 मार्च को नई दिल्ली में हुई थी, इससे ठीक तीन दिन पहले बीजेपी ने आरटीआई के तहत अन्नामलाई द्वारा हासिल की गई जानकारी पर आधारित एक समाचार रिपोर्ट के बाद यह मुद्दा उठाया था. कच्चातिवु मुद्दे के फिर से उभरने और पिछले दो दिनों में दिल्ली द्वारा इसमें दिखाई गई अभूतपूर्व दिलचस्पी ने तमिलनाडु में अटकलों को फिर से हवा दे दी है.