Manipur violence: मणिपुर में तनाव का माहौल गहराता जा रहा है, जहां सैकड़ों लोगों ने राज्य परिवहन बस से “मणिपुर” शब्द हटाने के विरोध में मानव श्रृंखला बनाकर अपना गुस्सा जाहिर किया. सोमवार को राज्यपाल अजय कुमार भल्ला इंफाल हवाई अड्डे पर पहुंचे और सुरक्षा कारणों से हेलिकॉप्टर के जरिए राजभवन से लगभग 300 मीटर दूर कांगला किले तक गए. इस घटना ने राज्य में चल रहे आंदोलन को और भड़का दिया है.
मणिपुर अखंडता समन्वय समिति (COCOMI) के नेतृत्व में हुए इस विरोध प्रदर्शन में छात्रों सहित सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने टिडिम रोड पर हवाई अड्डे के प्रस्थान द्वार से केशमपत जंक्शन तक मानव श्रृंखला बनाई. प्रदर्शनकारी बैनर लेकर खड़े थे, जिन पर राज्यपाल से माफी मांगने या पद छोड़ने की मांग लिखी थी. प्रदर्शनकारियों ने क्वाकेथेल बाजार में राज्यपाल का पुतला जलाने की कोशिश भी की, लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें रोक दिया. एक प्रदर्शनकारी ने कहा, “जब तक वह लोगों से माफी नहीं मांग लेते, हम विभिन्न तरह के आंदोलन जारी रखेंगे.'
आंदोलन की जड़: “मणिपुर” शब्द हटाने का विवाद
यह आंदोलन 20 मई की घटना से शुरू हुआ, जब शिरुई लिली महोत्सव के लिए पत्रकारों को उखरुल ले जा रही मणिपुर राज्य परिवहन की बस को केंद्रीय सुरक्षा कर्मियों ने रोक लिया और बस के साइनेज से “मणिपुर” शब्द हटाने का आदेश दिया. इस कदम को राज्य की पहचान के अपमान के रूप में देखा गया, जिसके बाद COCOMI ने राज्यपाल से माफी मांगने और मुख्य सचिव पी.के. सिंह, सुरक्षा सलाहकार कुलदीप सिंह, और पुलिस महानिदेशक राजीव सिंह को हटाने की मांग की.
सुरक्षा सलाहकार कुलदीप सिंह ने इस निर्देश का बचाव करते हुए कहा कि यह एक एहतियाती कदम था, ताकि कांगपोकपी जैसी घटनाओं से बचा जा सके, जहां संदिग्ध कुकी-जो उग्रवादियों ने एक बस पर हमला किया था.
सुरक्षा बलों का हस्तक्षेप
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों को इंफाल पश्चिम जिले में रैली निकालने से रोक दिया और उन्हें तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि प्रदर्शनकारी क्वाकेथेल इलाके में एकत्र हुए थे और राजभवन की ओर मार्च करने की योजना बना रहे थे, लेकिन उन्हें रोक दिया गया.
दिल्ली में बैठक की तैयारी
मणिपुर संकट के समाधान के लिए COCOMI की सात सदस्यीय टीम मंगलवार को गृह मंत्रालय में बैठक के लिए नई दिल्ली रवाना हो गई. इस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व समिति संयोजक ख. अथौबा कर रहे हैं, जिसमें येंगकोकपम धीरेन मीतेई, एल जदुमणि सिंह, थियाम भरत सिंह, लैखुराम जयंता सिंह, फिजाम श्यामचंद सिंह, और युमखैबम सुरजीतकुमार शामिल हैं. यह बैठक मणिपुर में लंबे समय से चल रही जातीय हिंसा और अनसुलझे राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है.
मणिपुर में जातीय हिंसा का संकट
मई 2023 से मणिपुर में चल रही जातीय हिंसा में अब तक कम से कम 260 लोगों की जान जा चुकी है और लगभग 60,000 लोग विस्थापित हुए हैं. यह संकट राज्य में शांति और स्थिरता के लिए एक बड़ी चुनौती बना हुआ है.