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India Daily

'फ्रीडम ऑफ स्पीच सेना का अपमान करने की आजादी नहीं देता', हाई कोर्ट का राहुल गांधी को राहत देने से इनकार

शिकायत के अनुसार, राहुल गांधी ने 16 दिसंबर 2022 को भारत जोड़ो यात्रा के दौरान भारतीय सेना के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की थी. यह टिप्पणी 9 दिसंबर 2022 को भारत-चीन सेनाओं के बीच हुई झड़प से संबंधित थी.

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Edited By: Sagar Bhardwaj
Freedom of speech does not allow one to insult the army Allahabad High Court refuses to give relief

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने विपक्ष के नेता राहुल गांधी को भारतीय सेना के खिलाफ कथित अपमानजनक टिप्पणी के मामले में राहत देने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने कहा, “निस्संदेह, भारत के संविधान का अनुच्छेद 19(1)(ए) अभिव्यक्ति और बोलने की स्वतंत्रता की गारंटी देता है, लेकिन यह स्वतंत्रता उचित प्रतिबंधों के अधीन है और इसमें किसी व्यक्ति या भारतीय सेना के खिलाफ मानहानिकारक बयान देने की स्वतंत्रता शामिल नहीं है.” जस्टिस सुभाष विद्यार्थी की एकल पीठ ने राहुल गांधी की याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने लखनऊ के सांसद-विधायक कोर्ट द्वारा फरवरी 2025 में पारित समन आदेश और मानहानि मामले को चुनौती दी थी.

मानहानि का आरोप और भारत जोड़ो यात्रा

यह मामला पूर्व बॉर्डर रोड्स ऑर्गनाइजेशन (BRO) निदेशक उदय शंकर श्रीवास्तव द्वारा दायर शिकायत से संबंधित है, जो वर्तमान में लखनऊ की एक अदालत में लंबित है. शिकायत के अनुसार, राहुल गांधी ने 16 दिसंबर 2022 को भारत जोड़ो यात्रा के दौरान भारतीय सेना के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की थी. यह टिप्पणी 9 दिसंबर 2022 को भारत-चीन सेनाओं के बीच हुई झड़प से संबंधित थी. शिकायत में दावा किया गया कि गांधी ने बार-बार अपमानजनक तरीके से कहा कि चीनी सेना अरुणाचल प्रदेश में हमारे सैनिकों को “पीट रही है” और भारतीय प्रेस इस पर कोई सवाल नहीं उठाएगा.

कोर्ट का तर्क और निर्णय

लखनऊ कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए, गांधी ने हाई कोर्ट में तर्क दिया कि शिकायतकर्ता भारतीय सेना का अधिकारी नहीं है और उन्होंने शिकायतकर्ता के खिलाफ कोई मानहानिकारक बयान नहीं दिया. हालांकि, कोर्ट ने इस दलील को खारिज करते हुए कहा कि सीआरपीसी की धारा 199(1) के तहत, अपराध से प्रभावित कोई भी व्यक्ति “पीड़ित व्यक्ति” माना जा सकता है. कोर्ट ने माना कि बीआरओ के पूर्व निदेशक, जो कर्नल के समकक्ष रैंक रखते हैं, सेना के प्रति गहरा सम्मान रखते हैं और उनकी भावनाएं कथित टिप्पणी से आहत हुई हैं. इसलिए, वे शिकायत दर्ज करने के हकदार हैं.

राहुल गांधी की मंशा पर सवाल

कोर्ट ने यह भी नोट किया कि गांधी ने मीडिया के सामने यह बयान दिया था, जिससे उनकी मंशा स्पष्ट थी कि यह बयान समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में प्रकाशित हो. कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट की एक टिप्पणी का भी हवाला दिया, जिसमें गांधी को वीडी सावरकर के खिलाफ टिप्पणी के लिए चेतावनी दी गई थी. कोर्ट ने कहा कि समन आदेश की वैधता की जांच के इस चरण में, प्रतिद्वंद्वी दावों के गुण-दोष में जाना आवश्यक नहीं है; यह कार्य ट्रायल कोर्ट को करना होगा. इसके साथ ही, गांधी की याचिका खारिज कर दी गई.