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India Daily

'बड़ी गलती की इंदिरा गांधी ने जान देकर चुकाई कीमत', 'ऑपरेशन ब्लू स्टार' को लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम का बड़ा बयान

P. Chidambaram on Operation Blue Star: पूर्व केंद्रीय मंत्री ने ऑपरेशन ब्लू स्टार को लेकर बोलते हुए कहा कि मेरी बातों में किसी भी सैन्य अधिकारी का अनादर नहीं है, लेकिन स्वर्ण मंदिर को दोबारा हासिल करने का यह एक गलत तरीका था.

Kanhaiya Kumar Jha
Edited By: Kanhaiya Kumar Jha
Former Union Minister P. Chidambaram
Courtesy: Social Media

P. Chidambaram on Operation Blue Star: वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने ऑपरेशन ब्लू स्टार को लेकर बड़ा बयान दिया है. पूर्व केंद्रीय मंत्री ने ऑपरेशन ब्लू स्टार को एक बड़ी गलती करार दिया है और कहा है कि इस गलती की कीमत पूर्व प्रधानमंत्री को जान देकर चुकानी पड़ी थी. बता दें कि ऑपरेशन ब्लू स्टार को लेकर समय-समय पर तमाम तरह के सवाल खड़े होते रहते हैं और उस समय की कांग्रेस सरकार की रणनीतियों को लेकर भी चर्चाएं होती रहती है. 

दरअसल, हिमाचल प्रदेश के कसौली में आयोजित खुशवंत सिंह साहित्य महोत्सव में पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने शिरकत की. इस महोत्सव में पत्रकार हरिंदर बावेजा की किताब 'दे विल शूट यू, मैडम' पर चर्चा का संचालन करने के दौरान उन्होंने कहा कि स्वर्ण मंदिर को हासिल करने के लिए ऑपरेशन ब्लू स्टार चलाना एक बड़ी गलती थी और इस गलती की कीमत इंदिरा गांधी को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी. 

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने ऑपरेशन ब्लू स्टार को लेकर बोलते हुए कहा कि मेरी बातों में किसी भी सैन्य अधिकारी का अनादर नहीं है, लेकिन स्वर्ण मंदिर को दोबारा हासिल करने का यह एक गलत तरीका था. कुछ साल बाद, हमने सेना को बाहर रखकर स्वर्ण मंदिर को सही रास्ते के जरिए फिर से हासिल कर लिया. ब्लू स्टार गलत रास्ता था और मैं मानता हूं कि इंदिरा गांधी ने उस गलती की कीमत अपनी जान देकर चुकाई. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि यह ऑपरेशन सेना, पुलिस, खुफिया विभाग और सिविल सेवा का सम्मिलित निर्णय था. इसके लिए केवल इंदिरा गांधी को दोष नहीं दिया जा सकता.

क्या है 'ऑपरेशन ब्लू स्टार'?

ऑपरेशन ब्लू स्टार, भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा जून 1984 के बीच चलाया गया एक सैन्य अभियान था, जिसका घोषित उद्देश्य सिख धर्म के सबसे पवित्र स्थल, स्वर्ण मंदिर को खालिस्तान समर्थक जनरैल सिंह भिंडरावाले और उनके हथियारबंद समर्थकों से मुक्त कराना था. इस अभियान में सेना ने जनरैल सिंह भिंडरावाले और उनके हथियारबंद समर्थकों को ढेर कर स्वर्ण मंदिर को मुक्त कराया था. इसे करीब 4 माह बाद ही इंदिरा गांधी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. 

सुरक्षाबलों ने ही पूर्व पीएम इंदिरा गांधी को उतारा था मौत के घाट 

1 अक्टूबर 1984 को पूर्व पीएम इंदिरा गांधी की हत्या उनकी सुरक्षा में तैनात गार्ड्स ने ही कर दी थी. बेअंत सिंह और सतवंत सिंह नाम के दो सुरक्षा गार्ड्स ने पूर्व पीएम पर उस समय अंधाधुन फायरिंग कर दी थी, जब वो एक इंटरव्यू के सिलसिले में अपने आवास 1 सफदरजंग रोड से बगल के दफ्तर 1 अकबर रोड पर जाने के लिए निकलीं थी. इस जघन्य हत्याकांड के बाद देश भर में सिखों के प्रति हिंसा देखने को मिली थी.