देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप के बीच एक नया विवाद खड़ा हो गया है. असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा पर सांप्रदायिक राजनीति करने का आरोप लगाने वाले वरिष्ठ पत्रकार और यूट्यूबर अभिसार शर्मा के खिलाफ गुवाहाटी पुलिस ने गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया है. यह मामला तब सामने आया है जब हाल ही में असम पुलिस ने द वायर के संपादकों और पत्रकारों को भी अलग-अलग मामलों में तलब किया था.
गुवाहाटी क्राइम ब्रांच ने यह एफआईआर आलोक बरूआ की शिकायत पर दर्ज की है, जो एबीवीपी के सदस्य बताए जाते हैं. बरूआ ने आरोप लगाया कि अभिसार शर्मा ने न केवल असम और केंद्र सरकार की छवि खराब की, बल्कि राम राज्य की अवधारणा का मजाक उड़ाते हुए मुख्यमंत्री सरमा को सांप्रदायिक राजनीति करने वाला बताया. उनका कहना है कि बिना किसी ठोस आधार के यह दावा कर राज्य और सरकार को भ्रष्ट और सांप्रदायिक दिखाने की कोशिश की गई.
पुलिस के अनुसार शर्मा के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की उन धाराओं में केस दर्ज किया गया है जो राष्ट्रीय एकता और संप्रभुता को नुकसान पहुंचाने, समूहों के बीच दुश्मनी फैलाने और सांप्रदायिक वैमनस्य पैदा करने से जुड़ी हैं. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि अभिसार शर्मा 'देश और उसकी संप्रभुता के खिलाफ बोल रहे थे.'
वहीं FIR को लेकर अभिसार शर्मा ने एक्स पर एक पोस्ट साझा की है. जिसमें उन्होंने लिखा 'मेरे ख़िलाफ़ असम पुलिस की FIR पूरी तरह बेमानी है. इसका जवाब दिया जाएगा वैधानिक तौर पर! मेरे शो में मैंने असम के जज के बयान का ज़िक्र किया था जिसमें उन्होंने महाबल Cement को असम सरकार द्वारा 3000 बीघा ज़मीन दिए जाने का ज़िक्र किया था और अलोचना की थी. मैंने तथ्यों के साथ मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा की साम्प्रदायिक राजनीति का जिक्र किया था. जो उनके अपने बयानों पर आधारित है. ये है वो शो जिसपर FIR की गई है.
मेरे ख़िलाफ़ @assampolice का FIR पूरी तरह बेमानी है. इसका जवाब दिया जाएगा वैधानिक तौर पर! मेरे शो में मैंने असम के जज के बयान का ज़िक्र किया था जिसमें उन्होंने महाबल Cement को असम सरकार द्वारा 3000 बीघा ज़मीन दिए जाने का ज़िक्र किया था और अलोचना की थी. मैंने तथ्यों के साथ…
— Abhisar Sharma (@abhisar_sharma) August 21, 2025
अभिसास शर्मा ने अपने वीडियो में दावा किया था कि मुख्यमंत्री सरमा धर्म के आधार पर नफरत फैलाकर लोगों का ध्यान असल मुद्दों से भटका रहे हैं. उन्होंने कहा कि असम सरकार मुसलमानों और मदरसों के खिलाफ एक 'प्रोपेगेंडा कैंपेन' चला रही है ताकि जनता की नजरें अहम सामाजिक और आर्थिक सवालों से हटाई जा सकें.
यह मामला ऐसे समय में सामने आया है जब हाल ही में गुवाहाटी क्राइम ब्रांच ने द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन को 'ऑपरेशन सिंदूर' पर प्रकाशित एक लेख को लेकर नोटिस भेजा था. वहीं सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें और द वायर के अन्य ट्रस्टीज को एक अन्य मामले में गिरफ्तारी से सुरक्षा दी थी. इसके अलावा पत्रकार करण थापर को भी इसी हफ्ते असम पुलिस ने तलब किया है. ऐसे में पत्रकारों और सरकार के बीच टकराव लगातार गहराता जा रहा है.