Lok Sabha Election 2024: आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर विपक्ष सत्ता पक्ष को घेरने की रणनीति पर काम कर रही है. बेरोजगारी महंगाई और किसान आंदोलन विपक्ष के सबसे बड़े चुनावी हथियार है. विपक्ष जहां किसान आंदोलन को मु्द्दा बनाकर मोदी सरकार को घेर रहा तो वहीं महंगाई और बेरोजगारी का नैरेटिव सेट करके चुनावी मात देना चाहती है.
किसानों और सरकार के बीच तनातनी की स्थिति अभी भी बरकरार है. केंद्र सरकार की कोशिश बातचीत के जरिये किसानों के मुद्दे को सुलझाने की है. चुनाव के मुहाने पर खड़ी बीजेपी समय रहते किसानों के मुद्दे का जल्द से जल्द निपटारा करना चाहेगी, क्योंकि किसान एक बड़े चुनाव वोट बैंक के रूप में देश की सियासत में अपनी आमद दर्ज कराते आए है.
इसमें कोई कोई दो राय नहीं कि लोकसभा चुनाव से पहले किसान आंदोलन मोदी सरकार के लिए परेशानी का सबब बन रहा है. साल 2021 में लाये तीनों कृषि कानूनों को लेकर किसानों के विरोध-प्रदर्शन के बाद मोदी सरकार को अपना कदम पिछे खींचने पड़े थे और पीएम मोदी ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया था. आजाद भारत के बाद देश की सियासत में किसान सभी दलों के एजेंडे में शुमार रहा है. ऐसे में समय-समय पर मोदी सरकार किसानों के लेकर हमेशा लचीला रूख अपनाती रही है. ऐसे में उम्मीद इस बात की तेज है कि मोदी सरकार समय रहते किसानों के साथ मिल बैठकर बीच का रास्ता निकाल लेगी.
किसानों को लेकर सरकार इस बात की दलील देती रही है कि साल 2014 से पहले कांग्रेस की सरकार में किसानों के लिए बजट में 27 हज़ार करोड़ रुपए का ही प्रावधान किया था, जिसे मोदी सरकार ने पांच गुना बढ़ा कर एक लाख 24 हार करोड़ रुपए कर दिया. किसानों से जुड़ी लाभकारी योजनाओं के जरिये बीजेपी ने अपना एक लाभार्थी वर्ग तैयार किया है. ऐसे में बीजेपी इस बात को लेकर मुतमइन रहती है कि मोदी सरकार की योजनाओं के लाभार्थी चुनावी समर में बीजेपी के वोटर के तौर पर काम करेगे. बीते कई चुनावों में कांग्रेस ने बीजेपी के खिलाफ किसानों को मुद्दा बनाया लेकिन उसका ये दांव उल्टा पड़ गया. तमाम राज्यों के चुनावी नजीजों ने यह साफ कर दिया बीजेपी अपनी सधी हुई चुनावी रणनीति के तहत किसानों के इर्द गिर्द चुनावी चक्रव्यूह तैयार करके रण फतह करती रही है.
महंगाई के मुद्दे पर विपक्षी अक्सर बीजेपी पर हमलावर रहती है. बीजेपी जब विपक्ष में होती थी तो मनमोहन सरकार को महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दे पर जमकर घेरा करती थी. आज के समय में तस्वीर बिल्कुल इसके उलट है. इसकी वजह विपक्ष का सत्ता पक्ष के मुकाबले बेहद कमजोर स्थिती में होना. जिस तरह से 2010 से 2014 के बीच बीजेपी ने महंगाई, बेरोजगारी, भष्ट्राचार के मुद्दे पर मनमोहन सरकार को जनता की अदालत में बेनकाब करते हुए सत्ता से बेदखल किया वैसी नैरेटिव सेट करने की लड़ाई में विपक्ष कोसों दूर खड़ा है, जो कहीं ना कहीं बीजेपी की पॉलिटिकल एज देती है.