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India Daily

बंगाल में ममता पर 'डबल अटैक', हुमायूं कबीर का नया पॉलिटिकल दांव; ओवैसी के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का किया ऐलान

निलंबित टीएमसी विधायक हुमायूं कबीर ने कहा है कि वे एआईएमआईएम के साथ गठबंधन की बात कर रहे हैं ताकि बीजेपी और टीएमसी दोनों को चुनौती दी जा सके.

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Edited By: Km Jaya
Humayun Kabir and Asaduddin Owaisi India daily
Courtesy: @ani_digital x account

नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल की राजनीति में एक बड़ा मोड़ देखने को मिला है. निलंबित टीएमसी विधायक हुमायूं कबीर ने दावा किया है कि वे असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के साथ गठबंधन की बात कर रहे हैं. उनका कहना है कि यह प्रस्तावित गठबंधन राज्य में बीजेपी और टीएमसी दोनों को रोकने के लिए तैयार किया जा रहा है.

यह बयान ऐसे समय में आया है जब कुछ घंटों पहले ही उन्होंने मुर्शिदाबाद जिले के बेलडांगा में बाबरी मस्जिद की शैली वाली मस्जिद की नींव रखी है. समारोह की शुरुआत दोपहर में कुरान पाठ से हुई और उसके बाद नींव रखने की प्रक्रिया पूरी की गई. हुमायूं कबीर ने दावा किया कि इस कार्यक्रम में हजारों लोग शामिल हुए और सऊदी अरब से आए दो मौलानाओं ने भी हिस्सा लिया. 

कब आयोजित किया गया था कार्यक्रम?

कार्यक्रम स्थल पर 'नारा-ए-तकबीर' और 'अल्लाहु अकबर' के नारे भी लगे. बड़ी संख्या में स्थानीय लोग ईंटें लेकर मस्जिद स्थल पर पहुंचते रहे. यह पूरा कार्यक्रम 6 दिसंबर को आयोजित किया गया, जो बाबरी मस्जिद ढहने की बरसी है. उनकी इस गतिविधि को लेकर पहले ही राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया था, जिसके बाद टीएमसी ने उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया था.

हुमायूं कबीर ने क्या लगाया आरोप?

कबीर ने आरोप लगाया कि कार्यक्रम को रोकने के लिए कुछ लोग साजिश कर रहे थे, लेकिन इसके बावजूद पुलिस और जिला प्रशासन ने पूरे कार्यक्रम में सहयोग दिया. दूसरी ओर, यह मामला कलकत्ता हाई कोर्ट भी पहुंचा. कोर्ट ने मस्जिद निर्माण में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया, लेकिन राज्य सरकार को कानून व्यवस्था बनाए रखने के निर्देश दिए. टीएमसी ने खुद को इस पूरे प्रोजेक्ट से दूर कर लिया है और इसके बदले राज्य भर में सामहति दिवस मनाने का फैसला किया है ताकि सांप्रदायिक सौहार्द को बढ़ावा दिया जा सके.

कैसा रहा है अब तक का उनका राजनीतिक सफर?

हुमायूं कबीर पहले कांग्रेस और फिर बीजेपी में भी रह चुके हैं. बाद में वे टीएमसी में आए, लेकिन हाल की घटनाओं के बाद अब वे अपने नए राजनीतिक भविष्य को लेकर एआईएमआईएम के साथ बातचीत कर रहे हैं. उनके इस कदम को पश्चिम बंगाल की चुनावी राजनीति में संभावित नए समीकरण के रूप में देखा जा रहा है.