CJI Official Residence: पूर्व मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ ने दिल्ली के कृष्ण मेनन मार्ग स्थित सरकारी आवास को समयसीमा के बाद भी खाली न करने के पीछे पारिवारिक जिम्मेदारियों का हवाला दिया है. सुप्रीम कोर्ट प्रशासन द्वारा केंद्र सरकार को भेजे गए पत्र के बाद चंद्रचूड़ ने कहा कि उनके पास दो विशेष ज़रूरतों वाली बेटियां हैं, जिनकी देखभाल के चलते उन्हें कुछ और समय की आवश्यकता है.
उन्होंने बताया, 'मेरी दोनों बेटियों को गंभीर अनुवांशिक समस्याएं और नेमालाइन मायोपैथी जैसी बीमारियां हैं, जिनका इलाज एम्स के विशेषज्ञों द्वारा किया जा रहा है.' ऐसे में परिवार के लिए उपयुक्त आवास ढूंढ़ना आसान नहीं है. चंद्रचूड़ ने कहा, 'मैं इस बात से भली भांति परिचित हूं कि मैंने सर्वोच्च न्यायिक पद पर कार्य किया है और उससे जुड़ी जिम्मेदारियों को समझता हूं. मैं जल्द ही निवास छोड़ दूंगा.' चंद्रचूड़ ने यह भी जोड़ा कि 'पूर्व मुख्य न्यायाधीशों को भी अक्सर ट्रांजिशन या पारिवारिक कारणों से आवास में रहने की अतिरिक्त अनुमति दी जाती रही है.'
सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने 1 जुलाई को आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय (MoHUA) को पत्र लिखकर कृष्ण मेनन मार्ग स्थित बंगला नंबर 5 को तुरंत खाली कराने की मांग की थी. चंद्रचूड़ नवंबर 2024 में सेवानिवृत्त हुए थे, लेकिन उनके दोनों उत्तराधिकारियों (न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और वर्तमान CJI बी. आर. गवई) ने अपने पुराने आवास में ही रहना पसंद किया, जिससे यह बंगला अब भी उनके पास ही है.
SC के पत्र के मुताबिक, चंद्रचूड़ ने 18 दिसंबर 2024 को CJI संजीव खन्ना को पत्र लिखकर बंगले को 30 अप्रैल 2025 तक रखने की अनुमति मांगी थी. उन्होंने GRAP-IV के तहत प्रदूषण प्रतिबंधों के कारण तुगलक रोड स्थित नए आवास में निर्माण कार्य ठप होने का हवाला दिया था. इस पर उन्हें ₹5,430 मासिक लाइसेंस शुल्क पर अनुमति दी गई थी. इसके बाद मई 2025 तक की मौखिक अनुमति भी मिली, लेकिन आगे विस्तार से इनकार कर दिया गया था.