कोलकाता: पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची की सफाई के लिए चल रही विशेष गहन संशोधन (SIR) प्रक्रिया के बीच चुनाव आयोग ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है. राज्य में कई मतदाताओं को 'अनमैप्ड' घोषित करने के बाद शुरू हुई व्यक्तिगत सुनवाई को अब अस्थायी रूप से रोक दिया गया है.
यह फैसला तकनीकी समस्या के कारण लिया गया है ताकि सही मतदाताओं को अनावश्यक परेशानी न हो. इलेक्शन कमीशन ने इसको लेकर नोटिस भी जारी किया है और नए आदेश दिए हैं.
चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल सहित कई राज्यों में मतदाता सूची को साफ-सुथरा बनाने के लिए विशेष गहन संशोधन (SIR) शुरू किया है. इसका मुख्य उद्देश्य मृत, स्थानांतरित या फर्जी मतदाताओं के नाम हटाना और सही लोगों को सूची में बनाए रखना है. पश्चिम बंगाल में यह प्रक्रिया 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले चल रही है.
इस प्रक्रिया में मतदाताओं को अपनी या अपने परिवार की जानकारी 2002 की पुरानी मतदाता सूची से जोड़नी थी. जिन लोगों का नाम उस सूची से नहीं जुड़ पाया, उन्हें 'अनमैप्ड' कहा गया. राज्य में करीब 31-32 लाख मतदाता ऐसे चिन्हित हुए थे.
दिसंबर में ड्राफ्ट मतदाता सूची जारी होने के बाद लगभग 58 लाख नाम हटाए गए थे. इनमें मृत या स्थानांतरित लोग शामिल थे. इसके अलावा सॉफ्टवेयर की मदद से करीब 31 लाख लोगों को अनमैप्ड घोषित किया गया.
इन मतदाताओं को नोटिस भेजकर व्यक्तिगत सुनवाई के लिए बुलाया गया था. सुनवाई 27 दिसंबर से शुरू हुई, जिसमें लोग दस्तावेज लेकर अपनी योग्यता साबित करते. कई मतदाता सॉफ्टवेयर में अनमैप्ड दिख रहे थे, जबकि 2002 की पुरानी हार्ड कॉपी सूची में उनका या उनके परिवार का नाम मौजूद था.
राज्य के चुनाव अधिकारियों ने इस मुद्दे को उठाया. जांच में पता चला कि समस्या 2002 की मतदाता सूची के डिजिटलाइजेशन में है. उस समय की पीडीएफ फाइल को पूरी तरह सीएसवी फॉर्मेट में नहीं बदला जा सका, जिससे सॉफ्टवेयर में लिंक नहीं हो पाया.
इसके बाद राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी के कार्यालय ने सभी जिला अधिकारियों को निर्देश दिया कि ऐसे अनमैप्ड मामलों में व्यक्तिगत सुनवाई फिलहाल न बुलाई जाए. यह रोक सिर्फ उन मतदाताओं पर लागू है जो सॉफ्टवेयर में नहीं दिखे लेकिन हार्ड कॉपी में मौजूद हैं. अब इन मामलों की आगे जांच होगी और सत्यापन पूरा होने के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी.
यह फैसला लाखों मतदाताओं के लिए राहत की खबर है. जिन्हें नोटिस मिला था, उन्हें अब तुरंत सुनवाई के लिए नहीं जाना पड़ेगा. चुनाव आयोग का कहना है कि सही मतदाताओं के नाम सुरक्षित रहेंगे. अगर बाद में कोई शिकायत या गड़बड़ी मिली, तो फिर सुनवाई हो सकती है.