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SECI टेंडर में बड़ा धमाका! ED ने रिलायंस पावर पर फर्जी बैंक गारंटी’ का खेल पकड़ा, कई चौंकाने वाले खुलासे

ED ने पाया कि रिलायंस पावर लिमिटेड ने SECI के बड़े टेंडर को प्राप्त करने के लिए कथित तौर पर फर्जी बैंक गारंटी जमा की. खुलासे के बाद हुई विस्तृत जांच में कई गंभीर अनियमितताएं सामने आईं. इसी आधार पर ED ने मामले में पूरक अभियोजन शिकायत दाखिल की, जिससे मामला और गहराया.

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Edited By: Princy Sharma
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Reported By: Rajneesh Sharma
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Courtesy: pinterest

नई दिल्ली: ED ने M/s Reliance Power Limited द्वारा SECI (Solar Energy Corporation of India) को जमा की गई कथित फर्जी बैंक गारंटी के मामले में एक पूरक अभियोजन शिकायत दाखिल की है. यह बैंक गारंटी SECI के एक बड़े टेंडर को हासिल करने के लिए जमा की गई थी. मामला सामने आने के बाद ED ने पूरे प्रकरण की विस्तृत जांच की, जिसमें कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए.

इस मामले की जांच ED ने EOW दिल्ली द्वारा दर्ज दो FIRs के आधार पर शुरू की. पहली FIR SECI की शिकायत पर M/s Reliance NU BESS Ltd (Reliance Power की 100% सहायक कंपनी) के खिलाफ दर्ज हुई. इस मामले में दूसरी FIR खुद Reliance NU BESS Ltd ने M/s Biswal Tradelink Pvt Ltd और उसके MD पार्थ सारथी बिस्वाल के खिलाफ दर्ज कराई थी.

क्या है मामला

SECI ने 1000 MW / 2000 MWh स्टैंडअलोन BESS प्रोजेक्ट के लिए टेंडर जारी किया था. इस टेंडर में बोली लगाने वालों को 68.2 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी जमा करनी थी. यदि बैंक गारंटी विदेशी बैंक की हो, तो उसे उस बैंक की भारतीय शाखा या SBI द्वारा एंडोर्स करवाना जरूरी था. 

PMLA जांच में हुआ खुलासा

PMLA जांच में खुलासा हुआ कि Reliance Power Ltd ने जानबूझकर शेल कंपनी M/s Biswal Tradelink Pvt Ltd की मदद से फर्जी बैंक गारंटी बनवाई. ये गारंटी FirstRand Bank, Manila (जो असल में है ही नहीं) ACE Investment Bank Ltd, Malaysia के नाम पर बनाई गई थी. इन फर्जी गारंटियों को असली दिखाने के लिए SBI के नाम से स्पूफ्ड ईमेल आईडी, फर्जी एंडोर्समेंट लेटर और नकली डोमेन—s-bi.co.in का इस्तेमाल किया गया, जो SBI के असली डोमेन sbi.co.in जैसा दिखता था.

करोड़ों रुपये की हेराफेरी

जांच में ED को ये भी पता चला कि Reliance Power ने अपनी ही दूसरी सहयोगी कंपनी Rosa Power Supply Company Ltd से 6.33 करोड़ रुपये Biswal Tradelink को भेजे. यह पैसा “ट्रांसपोर्टेशन सर्विसेज” के नाम पर भेजा गया, लेकिन जब जांच की गई तो पता चला कि असल में सभी वर्क ऑर्डर और इनवॉइस फर्जी थे.

फर्जी बैंक गारंटी बनवाने के बाद Reliance Power ने शेल कंपनी को 5.40 करोड़ रुपये की बड़ी फीस भी चुकाई, ताकि पूरा लेन-देन ऑथोराजड और सही लगे. लेकिन जब SECI ने गारंटी में गड़बड़ी पकड़ ली, तो रिलायंस ग्रुप ने एक दिन में ही IDBI Bank की असली बैंक गारंटी जमा कर दी. लेकिन SECI ने इसे तय तारीख निकल जाने के बाद जमा होने के कारण एक्सेप्ट नहीं किया.

टेंडर बचाने के लिए Reliance NU BESS Ltd के अधिकारियों ने SBI की कोलकाता शाखा से फर्जी विदेशी बैंक गारंटी की नई एंडोर्समेंट कराने की कोशिश की. इसके लिए उन्होंने....नकली एग्रीमेंट बनाए....कोलकाता नगर निगम को बोगस एड्रेस देकर "Certificate of Enlistment" हासिल किया लेकिन बावजूद इसके उन्हें एंडोर्समेंट नहीं मिल सकी. इसके बाद रिलायंस ने पूरा दोष Biswal Tradelink और उसके MD पर डालने के लिए कॉम्प्लेन भी दर्ज करा दी.

ED का कहना है कि उनकी जांच में रिलायंस ग्रुप की गलत नीयत, मिलीभगत, और जालसाजी की पूरी साजिश साबित हुई है. इस मामले में Reliance Power के CFO अशोक कुमार पाल और कई अन्य आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है. फिलहाल सभी आरोपी न्यायिक हिरासत में हैं.

ED ने सप्लीमैंट्री कॉम्प्लेन दाखिल करने से पहले 5.15 करोड़ रुपये की अवैध कमाई भी अटैच कर दी है.

आरोपियो के नाम...

1. पार्थ सारथी बिस्वाल

2. ⁠मैसर्स बिस्वाल ट्रेडलिंक प्राइवेट लिमिटेड

3. ⁠मैसर्स बायोथेन केमिकल्स प्राइवेट लिमिटेड

4. ⁠अमर नाथ दत्त

5. रविंदर पाल सिंह चड्ढा

6. ⁠मैसर्स रिलायंस एनयू बीईएसएस लिमिटेड

7. ⁠मैसर्स रोजा पावर सप्लाई कंपनी लिमिटेड 

8. ⁠मनोज भाईसाहब पोंगड़े

9. ⁠मैसर्स रिलायंस पावर लिमिटेड

10. ⁠अशोक कुमार पाल

11. ⁠पुनीत नरेंद्र गर्ग