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India Daily

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान ने किया था हाइड्रो प्लांट उड़ाने की कोशिश, CISF कर दिया नाकाम

CISF ने मंगलवार को जारी बयान में बताया कि पाकिस्तानी गोले और ड्रोन हमले के बावजूद परियोजना को कोई नुकसान नहीं पहुंचा.

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Edited By: Gyanendra Sharma
Uri hydro plant
Courtesy: Photo-Social Media

नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के उरी सेक्टर में 6-7 मई 2025 की रात को कुछ ऐसा हुआ, जिसने एक बार फिर भारतीय सुरक्षा बलों की बहादुरी और सतर्कता को दुनिया के सामने रख दिया. भारत द्वारा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकवादी ठिकानों पर चलाए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के मात्र कुछ घंटे बाद ही पाकिस्तानी सेना बौखला उठी और उसने नियंत्रण रेखा (LoC) के पास स्थित महत्वपूर्ण उरी हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट को निशाना बनाने की कोशिश की. लेकिन CISF के जांबाजों ने दुश्मन की सारी नापाक साजिश को नाकाम कर दिया. 

CISF ने मंगलवार को जारी बयान में बताया कि पाकिस्तानी गोले और ड्रोन हमले के बावजूद परियोजना को कोई नुकसान नहीं पहुंचा. बल्कि CISF की क्विक रिएक्शन टीमों ने न सिर्फ ड्रोन को मार गिराया बल्कि हथियारों के गोला-बारूद भंडार को भी सुरक्षित स्थान पर पहुंचाकर किसी भी बड़े हादसे को रोक दिया. इस असाधारण साहस के लिए CISF ने अपने 19 जवानों को सम्मानित किया है.

ऑपरेशन सिंदूर क्यों हुआ?

22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था. इस कायरतापूर्ण हमले में कई निर्दोष नागरिक मारे गए थे.  जांच में पता चला कि हमला पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठनों द्वारा प्लान किया गया था. जवाब में भारतीय सेना ने 6-7 मई की रात को PoK में मौजूद आतंकवादी कैंपों पर सटीक और निर्णायक हमला बोला, जिसे ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का नाम दिया गया. इस कार्रवाई से आतंकवादी ढांचे को भारी नुकसान पहुंचा.

पाकिस्तान की बौखलाहट और बदले की आग

ऑपरेशन सिंदूर से बौखलाए पाकिस्तान ने तुरंत LoC पर भारी गोलाबारी शुरू कर दी. कई सेक्टरों में अंधाधुंध फायरिंग की गई. इसी दौरान उरी हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट को निशाना बनाने की कोशिश की गई, जो LoC से महज कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यह 480 मेगावाट की परियोजना देश की ऊर्जा सुरक्षा के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. पाकिस्तानी ड्रोनों ने परियोजना के ऊपर मंडराना शुरू किया और गोले बरसाए गए. लेकिन कमांडेंट रवि यादव के नेतृत्व में तैनात CISF की यूनिट ने जिस तरह की बहादुरी दिखाई. 

जवानों ने न सिर्फ अपनी जान की परवाह किए बिना ड्रोन को निशाना बनाया बल्कि परियोजना के अंदर मौजूद हथियारों के भंडार को तुरंत सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट कर किसी बड़े विस्फोट की आशंका को खत्म कर दिया. CISF के महानिदेशक ने मंगलवार को एक समारोह में 19 जवानों को प्रतिष्ठित महानिदेशक डिस्क से सम्मानित किया.