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India Daily

दलाई लामा को भारत रत्न देने की मांग तेज, 80 सांसदों ने किए हस्ताक्षर

दलाई लामा जिन्हें तिब्बती बौद्धों का आध्यात्मिक नेता माना जाता है 1959 में तिब्बत पर चीन के कब्जे के बाद भारत में निर्वासित जीवन जी रहे हैं.

Gyanendra Sharma
Edited By: Gyanendra Sharma
Dalai Lama
Courtesy: Social Media

तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा के 90वें जन्मदिन के मौके पर भारत में उनके लिए भारत रत्न देने की मांग ने जोर पकड़ लिया है. दलाई लामा के उत्तराधिकारी के चयन को लेकर चीन के साथ तनाव बढ़ रहा है. भारत के सर्वदलीय सांसद मंच ने इस मांग को मजबूती से उठाया है और खबर है कि लगभग 80 सांसदों ने इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कर समर्थन जताया है. यह मांग जल्द ही राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को सौंपी जा सकती है.

द इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, सर्वदलीय भारतीय संसदीय मंच तिब्बत (All Party Indian Parliamentary Forum on Tibet) ने दलाई लामा को भारत रत्न से सम्मानित करने की मांग को आगे बढ़ाया है. इस मंच के संयोजक, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सांसद भृतहरि महताब ने निर्वासित तिब्बती सरकार के प्रतिनिधियों से कई बार मुलाकात की है. यह मंच तिब्बत के मुद्दों को भारतीय संसद और अन्य मंचों पर उठाने के लिए सक्रिय है. मंच के पूर्व संयोजक और बीजू जनता दल (बीजेडी) के राज्यसभा सांसद सुजित कुमार ने बताया कि इस मांग के समर्थन में एक मेमोरेंडम तैयार किया गया है, जिस पर अब तक 80 से अधिक सांसदों के हस्ताक्षर हो चुके हैं.

दलाई लामा का भारत से गहरा नाता

दलाई लामा, जिन्हें तिब्बती बौद्धों का आध्यात्मिक नेता माना जाता है,1959 में तिब्बत पर चीन के कब्जे के बाद भारत में निर्वासित जीवन जी रहे हैं. धर्मशाला हिमाचल प्रदेश में रहते हुए उन्होंने शांति, करुणा और अहिंसा का संदेश विश्व भर में फैलाया है. उनकी शिक्षाओं ने न केवल तिब्बती समुदाय को एकजुट रखा, बल्कि वैश्विक स्तर पर लाखों लोगों को प्रेरित किया है. भारत को वह अपनी 'आर्यभूमि' कहते हैं और अक्सर कहते हैं, "मैं मानसिक और शारीरिक रूप से भारत का पुत्र हूँ." उनकी इस भावना ने भारत में उनके प्रति सम्मान को और गहरा किया है.

उत्तराधिकारी विवाद और चीन का विरोध

दलाई लामा ने हाल ही में स्पष्ट किया कि उनके उत्तराधिकारी का चयन केवल उनकी गादेन फोडरंग ट्रस्ट द्वारा किया जाएगा, और इसमें चीन का कोई हस्तक्षेप स्वीकार्य नहीं होगा. इस बयान ने चीन को तीखी प्रतिक्रिया देने के लिए मजबूर किया. चीनी दूतावास ने दावा किया कि दलाई लामा को उत्तराधिकारी चुनने या पुनर्जनन प्रणाली को जारी रखने का कोई अधिकार नहीं है. दूसरी ओर, भारत ने धार्मिक स्वतंत्रता पर अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए कहा कि दलाई लामा और उनकी संस्था को ही यह निर्णय लेने का अधिकार है. इस कूटनीतिक तनाव के बीच भारत रत्न की मांग न केवल दलाई लामा के योगदान को सम्मान देने का प्रयास है, बल्कि तिब्बत के मुद्दे पर भारत की मजबूत स्थिति का भी प्रतीक है.

दलाई लामा के 90वें जन्मदिन पर धर्मशाला में आयोजित समारोह में हजारों अनुयायियों के साथ-साथ भारतीय और अंतरराष्ट्रीय नेता शामिल हुए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें बधाई देते हुए कहा, "वह प्रेम, करुणा, धैर्य और नैतिक अनुशासन के प्रतीक हैं.