नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने बीते दिनों बड़ा फैसला सुनाते हुए जातीय जनगणना पर फिलहाल रोक लगाने के आदेश देने से इनकार कर दिया था. जिसके बाद बिहार में जातीय जनगणना जारी है. जातीय जनगणना को लेकर सियासत भी तेज हो चली है. तमाम बयानबाजियों के बीच बीजेपी सांसद सुब्रत पाठक ने जातीय जनगणना के बाद अब धार्मिक जनगणना की मांग की है.
बीजेपी सांसद सुब्रत पाठक ने अमित शाह को लिखा खत
बीजेपी सांसद ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर मुस्लिमों के अल्पसंख्यक दर्जे पर भी सवाल उठाया है. सुब्रत पाठक ने कहा कि "देश के कुछ राजनीतिक दल नहीं चाहते कि देश का ध्यान इस सच्चाई की ओर जाए कि आजादी के समय हिंदुओं की जनसंख्या जो लगभग 93 प्रतिशत थी. जो आज तेजी से कम होती जा रही है वहीं दल देश विरोधियों और कट्टर पंथियों के दबाव में जाति जनगणना की मांग कर रहे हैं"
बीजेपी सांसद सुब्रत पाठक ने पत्र में आगे लिखा है कि "मैं आपसे मांग कर रहा हूं कि जाति जनगणना से पहले धार्मिक जनसंख्या की गणना हो ताकि पता चल सके कि देश भर के कुल अल्पसंख्यक समाज में मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, जैन और पारसियों आदि की संख्या कितनी है. पिछले 75 साल में इनकी वृद्धि का अनुपात क्या है. साथ ही धार्मिक जनगणना के बाद यदि मुस्लिमों की जनसंख्या अधिक पाई जाय तो उनका अल्पसंख्यक दर्जा भी समाप्त किया जाए"
यूपी में बीजेपी की सहयोगी दल सुभासपा और निषाद पार्टी समय समय पर राज्य में जातीय जनगणना की मांग करते रहते है. लेकिन अभी तक राज्य सरकार ने इस तरह के कोई संकेत नहीं दिए है.
बिहार में जातीय गणना को मिली हरी झंडी
बीते दिनों पटना हाई कोर्ट की ओर से बिहार में जातीय गणना को हरी झंडी मिलने के बाद बिहार सरकार ने राज्य में जातीय गणना कराने को लेकर आदेश जारी कर दिया था. सरकार ने सभी डीएम को आदेश दिया है कि हाईकोर्ट के फैसले के बाद बिहार जाति आधारित गणना 2022 के रुके काम को फिर से शुरू किया जाए. बिहार में जातीय गणना की प्रक्रिया को तेजी के साथ पूरी की जा चुकी है.अब सिर्फ डाटा इंट्री का काम चल रहा है.सुप्रीम कोर्ट में बीते दिनों सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि बिहार में जातीय जनगणना जनगणना का 80% काम पूरा हो चुका है. 90% पूरा हो जाएगा.क्या फर्क पड़ता है.
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