Delhi Police: 18 और 19 फरवरी की रात दिल्ली के आरके पुरम में एक कारोबारी के साथ लूट की वारदात को अंजाम दिया गया. वारदात के बाद पीड़ित कारोबारी पुलिस के पास पहुंचा और पूरे मामले की जानकारी दी. पुलिस ने उनसे आरोपियों के बारे में जानकारी जुटानी चाही, लेकिन उन्हें कुछ याद नहीं थी. आखिर में काफी सोच-विचार कर कारोबारी ने जो सबूत दिया, उसके आधार पर पुलिस तीन हफ्ते से भी कम समय में लूट के इस ब्लाइंड को सुलझा दिया.
आइए, पहले जानते हैं कि मामला क्या था? 18 फरवरी की देर रात पीड़ित कारोबारी अजय कुमार अपने दो कर्मचारियों के साथ एक ऑटो में मायापुरी से छतरपुर की ओर जा रहे थे, तभी IIT फ्लाईओवर के पास ऑटो का टायर फट गया. इसके तुरंत बाद, एक ऑटो वहां आकर रूका, जिसमें पहले से दो अन्य यात्री बैठे थे. जैसे ही अजय कुमार ने उनसे अपनी परेशानी शेयर की, उन्होंने उनसे पूछा कि क्या उनके पास टायर ठीक कराने के लिए पैसे हैं? इसके बाद ऑटो ड्राइवर और उसमें बैठे दो अन्य शख्स ने उन्हें कहा कि आ जाओ, आपको आजादपुर के टायर बाजार में हम छोड़ देंगे.
इतना सुनने के बाद अजय कुमार ऑटो में बैठ गए और उनके दो कर्मचारी, घटनास्थल पर उनका इंतजार करने लगे कि वे टायर लेकर लौटेंगे, फिर घर जाएंगे. उधर, अजय कुमार जिस ऑटो में सवार होकर आजादपुर जा रहे थे, वो आरके पुरम के पास पहुंचा. यहां ऑटो सवार पहले दो यात्रियों में से एक ने अजय कुमार पर धारदार हथियार से हमला किया और रिंग रोड की ओर भागने से पहले उन्होंने अजय कुमार का फोन और 5 हजार रुपये कैश उनसे लूट लिया.
डीसीपी (साउथ-वेस्ट) रोहित मीना ने बताया कि वारदात के दौरान मकान निर्माण सामग्री पहुंचने का कारोबार करने वाले अजय कुमार और आरोपियों के बीच हाथापाई भी हुई. उन्होंने जब जान से मारने की नियत से हमला किया, तो वे पीछे हट गए. ये सब इतनी जल्दी हुआ कि पीड़ित जिस ऑटो में सवार थे, इसका नंबर नोट करना भूल गए. लेकिन उन्हें एक बात याद रही कि ऑटो काफी पुराना था और उसके पीछे एक विज्ञापन का बैनर लगा था. इतनी जानकारी के बाद पुलिस की टीम ने जानकारी जुटानी शुरू की.
डीसीपी ने बताया कि घटनास्थल के आसपास के इलाकों के सीसीटीवी फुटेज इकट्ठा किए गए. आरोपी ऑटो सवार जिस रास्ते भागे होंगे, उन सभी संभावित रास्तों पर जांच पड़ताल की गई. लूट की जगह से करीब 500 मीटर दूर लगे एकमात्र सीसीटीवी कैमरे की जांच की गई. सीसीटीवी फुटेज खंगालने के बाद पुलिस को 10 ऐसे ऑटो दिखे, जिन पर 'झंडू नित्यम- एक आयुर्वेदिक दवा' का विज्ञापन लगा था.
पुलिस ने ऑटो पर विज्ञापन लगाने वाली कंपनी से जब संपर्क किया, तो केस लगभग और उलझ गया. पता चला कि ये विज्ञापन दिल्ली-एनसीआर में लगभग 1,600 ऑटो पर लगाया गया था. डीसीपी ने कहा कि कंपनी से सभी संदिग्ध ऑटो का विवरण प्राप्त किया गया और जांच की गई. आखिरकार, हम हरियाणा नंबर प्लेट वाले एक ऑटो को पकड़ने में सफल रहे. ऑटो काफी पुराना था और उसके मालिक का पता नहीं चल सका. हालांकि, विज्ञापन कंपनी से ऑटो ड्राइवर का मोबाइल नंबर का पता लगा, फिर कॉल डिटेल भी निकाला गया.
डीसीपी ने कहा कि कॉल डिटेल निकालने के बाद पुलिस आरोपियों तक पहुंचने में कामयाब हो गई. आरोपियों की पहचान 28 साल के अभिषेक उर्फ भोला, 21 साल के हरप्रीत सिंह और अरुण के रूप में हुई. पूछताछ के दौरान, आरोपियों ने बताया कि उन्होंने दिल्ली में कई लूट और स्नैचिंग को अंजाम दिया है. हर वारदात के बाद वे ऑटो के कुछ हिस्सों को पेंट कर देते थे, लेकिन पिछला हिस्सा छूट गया था, जिसके जरिए पुलिस ने हमें पकड़ लिया. पुलिस ने बताया कि लूट वाले दिन अभिषेक ऑटो चला रहा था जबकि हरप्रीत और अरुण पीछे यात्री सीट पर बैठे थे.
पुलिस ने बताया कि गांधी नगर का रहने वाला अभिषेक करीब छह महीने पहले ही जेल से बाहर आया था और वह राजौरी गार्डन पुलिस स्टेशन में स्नैचिंग के एक मामले में भी वांटेड था. उन्होंने कहा कि पहले वो चोरी, स्नैचिंग और आर्म्स एक्ट के 18 मामलों में शामिल था.