नई दिल्ली: मर्सर की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में साल 2026 में औसत वेतन 9 प्रतिशत तक बढ़ सकता है. कंपनियां अब कौशल आधारित वेतन, अल्पकालिक प्रोत्साहन और कर्मचारी कल्याण पर ज्यादा ध्यान दे रही हैं. भारत में कामकाजी पेशेवरों के लिए आने वाला साल अच्छी खबर लेकर आ सकता है.
वैश्विक एचआर कंसल्टिंग फर्म मर्सर के ताजा सर्वे के मुताबिक, 2026 में कर्मचारियों के औसत वेतन में करीब 9 प्रतिशत की बढ़ोतरी होने की उम्मीद है. कंपनियां अब सिर्फ वेतन वृद्धि तक सीमित नहीं हैं, बल्कि कौशल, प्रदर्शन और कर्मचारी अनुभव को ध्यान में रखकर अपनी वेतन नीतियों को नए सिरे से तैयार कर रही हैं.
मर्सर का टोटल रेम्यूनरेशन सर्वे 2026 देश की 1,500 से ज्यादा कंपनियों और 8,000 से अधिक पदों के आंकड़ों पर आधारित है. रिपोर्ट में बताया गया है कि वेतन बढ़ोतरी के पीछे मुख्य कारण व्यक्तिगत प्रदर्शन, महंगाई का दबाव और बाजार में प्रतिभा को बनाए रखने की प्रतिस्पर्धा है. कंपनियां अब वेतन को व्यापक मूल्य प्रस्ताव का हिस्सा मान रही हैं.
मर्सर की सलाहकार प्रमुख (भारत) मालती के.एस. के अनुसार, संगठन कौशल आधारित ढांचे को तेजी से अपना रहे हैं. प्रतिभा का आकलन कर उन्हें व्यवसाय की जरूरतों से जोड़ने की कोशिश हो रही है. वेतन और प्रोत्साहन योजनाओं को इस तरह डिजाइन किया जा रहा है कि वे बेहतर प्रदर्शन, उत्पादकता और जरूरी कौशल को बढ़ावा दें.
डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और सीमित प्रतिभा की उपलब्धता ने कंपनियों को अपनी रिवॉर्ड रणनीतियां बदलने पर मजबूर किया है. अल्पकालिक प्रोत्साहन- जैसे बोनस, अब ज्यादा अहम हो गए हैं. इनका उद्देश्य निकट भविष्य के लक्ष्यों को पूरा करना, लागत को संतुलित रखना और पारदर्शी वेतन ढांचा तैयार करना है.
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि नए श्रम कानूनों से कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा मजबूत होगी. इससे स्वास्थ्य सेवाओं और रोकथाम से जुड़ी सुविधाओं को बढ़ावा मिलेगा. कंपनियां अब कर्मचारी कल्याण, मानसिक स्वास्थ्य और संतुलित कार्य जीवन को अपनी नीतियों का जरूरी हिस्सा मानने लगी हैं, जिससे कार्यबल अधिक स्थिर और संतुष्ट बन सके.
सेक्टर के हिसाब से देखा जाए तो हाई-टेक और ऑटोमोबाइल उद्योग में वेतन वृद्धि सबसे ज्यादा रहने की संभावना है, जो क्रमशः 9.3 और 9.5 प्रतिशत तक हो सकती है. वहीं, आईटी, आईटीईएस और ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स कर्मचारी लाभ और जुड़ाव से जुड़ी नई पहल में आगे हैं. मर्सर के अनुसार, कुछ कंपनियां लागत नियंत्रण के लिए वेतन वृद्धि पाने वाले कर्मचारियों की संख्या की भी समीक्षा कर रही हैं.