Corruption With Sympathy: गुजरात से चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है. एक रिपोर्ट में कहा गया है कि गुजरात में भ्रष्ट अधिकारी लोन की तरह EMI में रिश्वत ले रहे हैं. इसे सहानुभूति वाला भ्रष्टाचार बताया जा रहा है और ये गुजरात के बेईमान सरकारी अफसरों के बीच काफी लोकप्रिय भी हो गया है.
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पीड़ित पर अधिक रकम का बोझ न पड़े, इसके लिए काफी सोच विचार के बाद अफसरों ने ये तरकीब निकाली है. कई अफसरों ने इस बारे में सोचकर तरकीब निकाली कि कई लोग बैंकों से मोटी रकम लोन के रूप में लेते हैं और EMI के जरिए उसकी किस्त अदा करते हैं, क्यों न रिश्वत की रकम भी EMI पर ली जाए, ताकि जरूरतमंदों पर एक साथ रकम देने का बोझ न पड़े.
इस साल मार्च में, SGST फर्जी बिलिंग घोटाले में एक व्यक्ति से 21 लाख रुपये की रिश्वत मांगी गई थी. ये राशि 2 लाख रुपये की 9 EMI और 1 लाख रुपये की एक EMI के तौर पर ली गई, ताकि पीड़ित पर एक साथ इतनी बड़ी रकम का बोझ न पड़े.
4 अप्रैल को, सूरत में एक उप सरपंच और तालुका पंचायत सदस्य ने गांव के एक शख्स के खेत को समतल करवाने के लिए 85,000 रुपये की रिश्वत मांगी. शख्स की तंग आर्थिक स्थिति को देखते हुए, आरोपी ने पैसे देने से मना कर दिया. इसके बाद उसके सामने EMI का ऑप्शन रखा गया. कहा गया कि आप 35,000 रुपये पहले और बाकी तीन किश्तों में बाकी रकम का भुगतान कर दीजिए.
हाल ही में, दो पुलिसकर्मी साबरकांठा निवासी से मांगे गए 4 लाख रुपये लेकर भाग गए. ये रकम उनके ओर से मांगे गए कुल 10 लाख रुपये की पहली किश्त थी. एक अन्य मामले में, साइबर क्राइम पुलिस अधिकारी ने मांगे गए 10 लाख रुपये को चार किश्तों में बांट दिया.
एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) के अधिकारियों का कहना है कि इस तरह की प्रथा बढ़ रही है और इस साल अकेले ऐसे 10 मामले सामने आए हैं. एसीबी के एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि कोई व्यक्ति घर, कार या कीमती सामान खरीदने में असमर्थ होता है. इन जरूरतों को पूरा करने के लिए लोन लेता है और उसका भुगतान EMI पर करता है. भ्रष्ट अधिकारी अब रिश्वत के मामले में भी यही तरीका अपना रहे हैं.
भ्रष्टाचार में शामिल अधिकारी ऐसे लोगों का फायदा उठाते हैं, जिनके पास या तो किसी क्राइम के सिलसिले में पुलिस ने संपर्क किया है या जो सरकारी कल्याण योजनाओं का लाभ उठाना चाहते हैं. इसके एवज में जरूरतमंद से भारी रिश्वत की मांग की जाती है. अगर जरूरतमंद शख्स गरीब है, तो इसके लिए उसके सामने EMI का ऑप्शन रखा जाता है.
भ्रष्ट अधिकारी उन्हें जाने भी नहीं देना चाहते और पैसा कमाने का मौका भी नहीं छोड़ना चाहते. एसीबी, गुजरात के निदेशक और डीजीपी (कानून और व्यवस्था) शमशेर सिंह ने कहा कि एसीबी केवल उन मामलों की रिपोर्ट करने में सक्षम है, जिनमें लोग शुरुआती किश्तों का भुगतान करने के बाद हमसे संपर्क करते हैं.
उन्होंने बताया कि 26 अप्रैल को एक मामले की सूचना मिली. कहा गया कि एक सीआईडी (अपराध) इंस्पेक्टर ने जब्त लैपटॉप और कंप्यूटर समेत अन्य वस्तुओं के लिए 50,000 रुपये की रिश्वत की मांग की. इस महीने की शुरुआत में, गुजरात जल आपूर्ति एवं सीवरेज बोर्ड के एक सेकंड क्लास के अफसर ने एक ठेकेदार से बिल पास कराने के लिए मांगे गए 1.20 लाख रुपये को 30,000 रुपये के चार EMI में भुगतान किया था.