Cooperative Bank Case Closure Report: महाराष्ट्र स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक (MSCB) केस में मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने अजित पवार और सुनेत्रा पवार को क्लिन चिट दे दी है. MSCB केस क्लोजर रिपोर्ट में EOW ने कहा है कि मामले में किसी तरह का कोई क्रिमिनल एक्ट नहीं मिला है, इसलिए इस मामले में महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार, उनकी पत्नी, भतीजे रोहित समेत अन्य को क्लिन चिट दे रहे हैं.
रिपोर्ट में EOW ने कहा है कि बैंक को कोई वित्तीय नुकसान नहीं हुआ है और अब तक बैंक ने दिए गए कर्ज से 1,343.41 करोड़ रुपये की वसूली कर ली है. EOW ने जनवरी में एक क्लोजर रिपोर्ट दायर की थी, जिसमें कहा गया कि MSCB केस में कोई अपराध नहीं हुआ है, जिसका विवरण मंगलवार को उपलब्ध कराया गया.
आरोप था कि प्रक्रियाओं का पालन किए बिना MSCB की ओर से चीनी मिलों को ऋण दिया गया था. आरोप लगाया गया कि जब वे नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स में बदल गईं, तो उन्हें बैंक के डायरेक्टर्स और अन्य लोगों से जुड़े लोगों के रिश्तेदारों को बाजार मूल्य से कम पर बेच दिया गया.
अगर क्लोजर रिपोर्ट स्वीकार कर ली जाती है, तो इससे संबंधित प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच भी प्रभावित होगी, जहां अब तक दो आरोपपत्र दायर किए गए हैं. EOW की 35 पन्नों की रिपोर्ट में तीन प्रमुख लेनदेन का जिक्र है और कहा गया है कि उनमें से कोई भी ये नहीं दिखाता कि कर्ज देने या चीनी कारखानों की बिक्री में कोई क्रिमिनल एक्ट या अनियमितताएं थीं.
ये लेन-देन जरंदेश्वर चीनी सहकारी कारखाना, एक चीनी फैक्ट्री की बिक्री से संबंधित है जो सतारा में थी. ED ईडी की जांच में कहा गया है कि को-ऑपरेटिव बैंकों से कर्ज लेने के बावजूद, वित्तीय स्थिति खराब होने के बाद 2010 में फैक्ट्री को गुरु कमोडिटी सर्विसेज लिमिटेड को 65 करोड़ रुपये में बेच दिया गया था.
आरोप लगाया गया था कि फैक्ट्री खरीदने के लिए खरीदार को पैसा दो अन्य कंपनियों (जरांदेश्वर शुगर मिल्स (जेएसएम) प्राइवेट लिमिटेड और जय एग्रोटेक) की ओर से दिया गया था. अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा, जो बारामती से उनकी पार्टी की लोकसभा उम्मीदवार हैं, 2008 तक जय एग्रोटेक की डायरेक्टर थीं और उनके चाचा, राजेंद्र घाडगे, जेएसएम के डायरेक्टर थे. ED ने इस लेनदेन से जुड़े गुरु कमोडिटी, जेएसएम और एक चार्टर्ड अकाउंटेंट को आरोपी बनाया है.
EOW ने कहा कि फैक्ट्री की बिक्री औने-पौने दाम पर नहीं बल्कि रिजर्व प्राइस से 19 करोड़ रुपये ज्यादा में हुई. इसमें ये भी कहा गया है कि जब लेन-देन हुआ, सुनेत्रा जय एग्रोटेक से जुड़ी नहीं थी. वे 1 अप्रैल, 2004 से 18 जुलाई, 2008 तक डायरेक्टर थीं. जब फैक्ट्री की बिक्री हुई, उस वक्त सुनेत्रा फैक्ट्री की डायरेक्टर नहीं थीं.