शिमला: हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में स्थित इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (आईजीएमसी) में इलाज के दौरान हुआ एक छोटा सा विवाद अचानक बड़े हंगामे में बदल गया. यह मामला एक खाली बेड पर लेटने को लेकर शुरू हुआ, लेकिन देखते ही देखते मरीज और ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर के बीच हाथापाई तक पहुंच गया.
अस्पताल के एक वार्ड में हुई इस घटना का वीडियो जैसे ही सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, वैसे ही स्वास्थ्य विभाग और अस्पताल प्रशासन में खलबली मच गई. मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपी डॉक्टर को सस्पेंड कर दिया है और पूरे घटनाक्रम की जांच के आदेश दिए गए हैं.
मरीज को "लात-घूंसा-मुक्का" विधि से CPR देकर उसकी जान बचाता एक डॉक्टर 🤡
— रावण (@raavan_india) December 22, 2025
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रिपोर्ट के अनुसार, चौपाल क्षेत्र के कुपवी निवासी अर्जुन पंवार इलाज के लिए आईजीएमसी पहुंचे थे. उनकी एंडोस्कोपी की प्रक्रिया पूरी होने के बाद डॉक्टरों ने उन्हें कुछ समय के लिए आराम करने की सलाह दी और दूसरे वार्ड में जाने को कहा. इसी दौरान अर्जुन ने चेस्ट ओपीडी में एक खाली बेड देखा और वहां लेट गए. यहीं से विवाद की शुरुआत हुई. ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर ने उन्हें वहां से उठने को कहा, जिस पर दोनों के बीच कहासुनी होने लगी।.
मरीज के परिजनों का आरोप है कि डॉक्टर ने पहले मरीज से गलत भाषा में बात की. जब मरीज ने इसका विरोध किया तो डॉक्टर ने अपना आपा खो दिया और हाथापाई पर उतर आए. उस समय मरीज ऑक्सीजन सपोर्ट पर था, जिससे परिजनों की चिंता और बढ़ गई. सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में साफ दिख रहा है कि डॉक्टर बेड पर लेटे मरीज के साथ मारपीट करता नजर आ रहा है. आसपास मौजूद कुछ लोग बीच-बचाव की कोशिश करते भी दिखते हैं, लेकिन कुछ देर तक वार्ड में अफरा-तफरी का माहौल बना रहा.
इस मामले में आरोपी डॉक्टर ने भी अपनी बात सामने रखी है. डॉक्टर का कहना है कि मरीज ने बातचीत के दौरान उनके साथ गाली-गलौज की, जिससे वह अपना संयम खो बैठे. डॉक्टर के अनुसार, मरीज के व्यवहार के कारण स्थिति बिगड़ी और विवाद बढ़ता चला गया. हालांकि, अस्पताल प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले दोनों पक्षों के बयान, सीसीटीवी फुटेज और अन्य सबूतों की जांच की जाएगी.
वीडियो वायरल होने के बाद अस्पताल परिसर में लोगों का गुस्सा फूट पड़ा. मरीज के परिजन और अन्य लोग आरोपी डॉक्टर के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग करने लगे. स्थिति को संभालने के लिए प्रशासन को हस्तक्षेप करना पड़ा. आईजीएमसी के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ. राहुल राव ने बताया कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर मामले की जांच के लिए एक कमेटी गठित की गई है और आरोपी डॉक्टर राघव नरूला को अगले आदेश तक सस्पेंड कर दिया गया है. जांच में दोषी पाए जाने पर आगे और सख्त कदम उठाए जा सकते हैं.
स्वास्थ्य मंत्री धनीराम शांडिल ने इस घटना को बेहद गंभीर बताया है. उन्होंने कहा कि मरीज के साथ किसी भी तरह की हिंसा बर्दाश्त नहीं की जाएगी. सरकार ने निष्पक्ष जांच का भरोसा दिलाया है और स्पष्ट किया है कि दोषी पाए जाने पर सख्त कार्रवाई होगी. इस घटना ने एक बार फिर अस्पतालों में मरीजों और चिकित्सा कर्मियों के बीच बेहतर संवाद और संवेदनशीलता की जरूरत को सामने ला दिया है.